मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

माँ अम्बादेवी भवानी धारूल देवी की महिमा पर वर्ष 2015 मे तैयार " माई का डंका बाजे रे " एलबम की सफलता - निर्देशक रविन्द्र मानकर


माँ अम्बादेवी शक्तिपीठ धारूल जिला बैतूल मध्यप्रदेश 
माँ अम्बादेवी भवानी की कीर्ति जन जन पहुचाने कें लिए जनसहयोग से तैयार " माई का डंका बाजे रे " एलबम का निर्माण कार्य सम्पन्न हुआ । भजन एलबम कें गीतो की रचना गोविन्द बेनाम जबलपुरी और सुधाकर पंडागरे जी ने किया । 
अम्बा भवानी कें भजनों कों संगीत बबलू मेथूज जी ने दिया वही सभी भजनों कों जबलपुर की सुप्रसिद्ध भजन गायिका चांदनी बघेल जी ने गाया । 
 
 



































सतपुड़ा की महारानी की सम्पूर्ण दर्शन यात्रा

🙏माँ सतपुडा की महारानी अम्बादेवी 🙏
Jai mata di 
धारुड वाली मां अम्बादेवी जिसकी मेहरबानी से ब्रम्हाजी सृष्टी निर्माण ,विष्णु पालन एवं शंकर जी शंघार करने की शक्ति प्राप्त करते है ,उस धारुड वाली मां अम्बादेवी को बार बार नमस्कार है।
पौराणिक एवं ऐतिहासिक तथ्यो से भरपुर सबकी मुरादे पुरी करने वाली ,अपने अनन्य भक्तो को अमर करने वाली मांई अम्बादेवी आपकी सदा ही जय हो ।
सतपुडा के घने जंगलो मे बिराजी मां अम्बादेवी का ये मन्दिर हर आने वाले भक्त के मन को मोह लेता है।
कथा है जब भगवान शिव मां सती के शव को लेकर बम्हांड मे ताडंव नृत्य कर रहे थे उस वक्त इसी स्थान पर मां सती के देह की चुनरी गिरी थी ।इस लिए इसे चुनरी वाला दरबार भी कहा जाता है।
मध्यप्रदेश के बैतुल जिले मे धारुड ग्राम पंचायत मे अम्बा माई का मन्दिर परम पवित्र सतपुडा पर अपनी वैभवशाली सत्ता के साथ सुशोभित है।
माई सती के देह की चुनरी वाली ,चार भुजाओ , मन के दुख को हरने वाली ,सब की मुरादे पुरी करने वाली माई अम्बा को कोटी-कोटी प्रणाम है।
इस धरती पर मां अम्बे ही वो शक्ती है,जो हमारी झोली भरने के लिए ,हमारी मुरादे पुरी करने के लिए ,हमे खुद अपने दरबार पर बुलाती है।
इस स्थान की महिमा चारो युगो मे 3 गुणो के लोगो द्वारा गाया जाते रहा है ,और आगे भी गाया जाते रहेंगा।
कोई भी भाषा हो ,कोई भी बोली हो
दुनिया भर मे जो हम पहला शब्द बोलना सीखते है वो है मां ।
आज हमारी यात्रा मे हम
आपको मां से मिलाने चलते है ।
शेरोवाली माँ,
पहाड़ावाली माँ,
धारुडवाली माँ,
अम्बादेवी माँ,
कहते है आप लाख जतन कर लो
कितने भी दर्शन को लालायित हो लेकिन जब तक मां का बुलावा नही आ जाता आप अम्बादेवी नही आ सकते है।
मां अम्बादेवी की दर्शन यात्रा अखण्ड भारत के केन्द्र बिन्दु बैतुल जिले से आरम्भ होती है।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी को जोडने वाले मध्य रेल्वे के बैतुल रेल्वे स्टेशन से अम्बादेवी शक्तिपीठ की दुरी लगभग 90 कि.मी. है ।
बैतुल जिला मुख्यालय से आगे बढ़ने पर मां अम्बादेवी की यात्रा मे प्रथम दर्शन मां सुर्यपुत्री ताप्ति का होता है।
मान्यता है कि जब प्रलय हुआ तो सारी सृष्टी के जीव ब्रम्हाजी मे विलीन हो गये।
जब उन्होने पुन: सृष्टी के निर्माण का ध्यान किया तो भगवान सुर्य वहा उपस्थित हो गये ,लेकिन ब्रम्हाजी की व्याकुलता से वे भी चिन्तित हो उठे।
अत: उन्होने अपनी पुत्री ताप्ती का ध्यान किया ।
सुर्यपुत्री ताप्ति उनके ताप से उत्पन्न होकर सारी दिशाओ एवं आकाश को अलौकित करते हुए पिता का संताप दुर करते हुए भुलोक पर प्रकट हुई ।
इस तरह सृष्टी निर्माण के समय प्रथम नदी के रुप मे ताप्ती का अवतरण हुआ ।
ऐसा भी कथा है कि भगवान
भगवान राम ने ताप्ती नदी के तट पर 12 ज्योतिर्लिंगो की स्थापना कर भगवान शिव का रुद्राभिषेक पुजा अर्चना की थी जिससे उनके पिताजी राजा दशरत को ब्रम्हत्या के पाप से मुक्ति मिल सके ।
इस तरह आदिगंगा मां ताप्ती के दर्शनो के बाद आगे चलने पर आठ मोहल्लो का नगर आठनेर पड़ता है ।
नगर के प्रवेश द्वार पर ताप्ति झिरी मिलती है ,जिसके बारे विशेष कथा प्रचलित है कि एक भक्त को मां ताप्ति ने यहां पर दर्शन दिये थे और इस झिरी मे समेशा सदा वास करने का प्रण किया था।
आगे चलने पर बाजार चौक मे स्थित दुर्गा मन्दिर मे मातारानी दर्शन से अलौकिक आनन्द कि प्राप्ति होती है।
यह मन्दिर आठनेर नगर के वासियो की सबसे बडी आस्था और विश्वास का केन्द्र है।
नगर से लगभग 5 कि.मी दुरी चलने पर वो प्राचिन गुप्तेश्वर शिवधाम है जहाँ भगवान शिव ने अपना पीछा कर रहे भस्मासुर नामक राक्षस को कुछ पल के लिए पीछे मुड़कर देखा था।
इस भगवान के इस मन्दिर के दर्शन के बाद पुन: शहर वापस आकर अम्बादेवी के दर्शन के लिए आगे बढ़ते है ।
मां अम्बादेवी जाने का रास्ता घोघरा जोड से हिरादेही होते हुए जाता है।
रास्ते मे अनेक घाट चढ़ाव आते है कई खतरनाक मोड भी आते है ,परन्तू भक्तो का ऐसा विश्वास है कि जंगल के बिच रास्ते आने वाले नहालदेव बाबा के दर्शन मात्र से सभी बाधाये दुर हो जाती है।
अब हम धारुड ग्राम मे प्रवेश करते है ,
जहाँ से अम्बादेवी दरबार की दुरी लगभग चार कि.मी रह जाती है ।
आगे चलने पर छोटी अम्बा मांई मन्दिर दिखाई देता है।यहाँ सभी भक्तगण आवक-जावक के साधन खडे करते है। क्युकि आगे का रास्ता पैदल ही तय करना पडता है ।अब भक्तगण छोटी अम्बा माँई के दर्शन करके आगे बढ़ते है।
यहाँ से स्वयं भु प्रकट हुई गुफा मे बैठी माँ अम्बा माँई के दरबार की दुरी 2 कि.मी रह जाती है ,जो घने जंगल से होकर जाना पड़ता है।
नजाने कैसी शक्ति है माँ के इस धाम मे,
जो हर क्षण अपनी ओर खीचती चली है।
मां के भक्तो को ना पैरो के छाले रोक पाते है।
न पर्वतो की ऊँचाईया
मन मे श्रध्दा और होठो पर जयकारे लिये
मां के चाहने वाले आस्था के पग पर चले जाते है।
इस तरह माँ अम्बादेवी के भक्तो का जत्या
🙏जय माता दी🙏

संकलन / सम्पादक /लेखक 
रविन्द्र मानकर ( अम्बा भक्त )







बुधवार, 4 नवंबर 2015

माई का डंका बाजे रे एक संघर्ष एक प्रयास

 माई का डंका बाजे रे 
     एलबम की कहानी 
आज हम आपको एक ऐसे भक्ति गीत एलबम की कहानी बता रहे की जिसकी कहानी सुनकर आपको बड़ा आश्चर्य होगा की कभी ऐसा भी हो सकता है कि भगवान भरोसे बन गया माता का भजन एलबम ।



अम्बा माता महिमा दुनियाँ के कोने कोने तक पहुँचे इसलिये अम्बा भवानी के भक्त रविन्द्र नें निर्णय लिया कि वो माँ अम्बादेवी की महिमा पर भजन एलबम बनायेगा । 

जब उसने भजन एलबन के लिये प्रयास आरम्भ किया तब उसे पता भी नही था कि कौन भजन लिखेगा और कौन भजन गायेगा ।
बात यही नही सीमित होती उस माता के भक्त को इतना भी पता नही था कि एलबम के आडिओ वीडियो मॆ लगने वाला लाख रुपया कहाँ से आयेगा इस एलबम के वीडियो मॆ कौन लोग नृत्य करेगे ।
उस माता के भक्त ने फेसबुक पर एक ग्रुप बनाया जिसका नाम रखा था 
अम्बा माई के भजन एलबम निर्माण मॆ कौन कौन सहयोग करेगा 
इस भजन एलबम की सहयोगी पोस्ट देखकर भोपाल निवासी सुधाकर पण्डाग्रे ने भजन गीत  निःशुल्क लिखने की बात स्वीकार की । माता के भक्त रवि ने अम्बा माई की महिमा की सम्पूर्ण संकलित कहानी सुधाकर जी को दी ।
जब सुधाकर जी ने कूछ भजन लिख दिये तो रविन्द्र ने भजन गायिका चाँदनी बघेल से बात कि और उन्हे दो भजन गोविन्द बेनाम जी से लिखने को कह दिया ।
जबलपुर स्थित स्टूडियो मॆ माता के भजनों कि गुण गायिका चाँदनी बघेल कि आवाज़ मॆ रेकॉर्डिंग हुई उन सभी भजनों को संगीत बबलू मेथूज ने दिया ।
माँ अम्बा कि कृपा से रविन्द्र ने अपने सोशल मीडिया से जुड़े सहयोगी मित्रों और सुधाकर जी के सहयोग से नवरात्र दो हजार पन्द्रह मॆ आडिओ एलबम का विमोचन माँ अम्बा रानी धारूड वाली के चरणों मॆ कर दिया । 
इस एलबम मॆ सहयोग एकत्रित करने मॆ माता के भक्त को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा क्युकी रविन्द्र से भूलवश कूछ भाजपा नेताओ से हजार पाँच सौ रुपये का सहयोग लिया था जो भजन सीसी पर राजनीति का प्रयास करना चाहते थे ।
उस माता के भक्त की इच्छा थी की वीडियो मॆ गायिका चाँदनी बघेल की ही लिप्सिंग रहे 
इसलिये माता के भक्त ने कई बार चाँदनी दीदी के पति श्री प्रोमील शर्मा जी को फोन लगाकर एलबम के लिये  लिप्सिंग देने की बात की और बहन चाँदनी से भी कई बार निवेदन किया की वो माता की कीर्ति जन-जन तक पहुँचाने के लिये सहयोग करे ।
माँ अम्बा के भक्त ने अनेक प्रयास किये की वो स्वयं वीडियो मे सामने आये और चाँदनी जी के ममतामयी जागरण ग्रुप को अम्बा माई धारूडवाली की चौखट तक ला लिया था लेकिन छोटी अम्बा से ही उन्हे वापस जाना पड़ा ।
माँ अम्बा माई भी नही चाहती थी की उनका जागरण ग्रुप उनके दर्शन करे ।
अब माता के भक्त ने जिले के ही कालिका जागरण ग्रुप से लिप्सिंग और नृत्य हेतु सहयोग माँगा लेकिन ग्रुप के डाइरेक्टर ने कहाँ की इस कार्य मॆ चौबीस हजार रुपये का बजट लगेगा तो फ़िर मन निराश हो गया । मुलताई के डांस ग्रुप से बात की तो वो भी पैसों की ही बात कर रहे थे । जब उस माता के भक्त को उसके मित्र विशाल ने कहाँ की एक ऐसा मित्र है जो तुम्हारी मदत कर सकता है और आपके पैसों की माँग भी नही करेगा ।
जब माता के भक्त ने स्टेप अप डांस ग्रुप के डायरेक्टर विकास साहू से भजन एलबम के वीडियो और डांस की बात की और विकास साहू का माता के प्रति समर्पण देख मन खुशियों से झूमने लगा ।
विकास साहू से भजन एलबम की टीम मिली और माता के भजन एलबम की डेट फिक्स हो गई ।
विकास साहू जी ने अम्बा माई की महिमा पर आधारित भजन एलबम माई का डंका बाजे रे 
 के डांस के लिये बालिकाओं और युवाओं का चयन  किया और उन्हे डांस की स्टेप बताते उन सभी कलाकारों को ट्रेनिंग देना आरम्भ किया । विकास साहू जी के कैरियर मॆ ये पहला ऐसा अवसर का की उन्हे कोरियोग्राफ़र बनने का मौका मिला ।
विकास जी ने माता का आदेश मानकर तन मन और धन से लगभग 26  दिनो तक डांस कलाकारो को नृत्य की ट्रेनिंग दी । माता के उस भक्त के पास पैसा नही था इसलिये विकास भाई ने नृत्य कलाकारो को ही भजन के हिसाब से ड्रेस खरीदने या व्यवस्था करने का निवेदन किया ।  जिस दिन स्टेप अप डांस ग्रुप के सभी कलाकार अम्बा माई पधारे तो भजन एलबम टीम के विशेष सहयोगी धीरज शिवहरे केमरा मेन मुकेश सराटकर , रितेश टेकपूरे , जगदीश डोंगरे आदि सभी मित्रों ने माता की आरती की और फ़िर वीडियो शूटिंग की तैयार आरम्भ की । सतपुडा की पहाडी पर बालिकाएं नाच रही थी मेरी अम्बा माई की आयी सवारी के भजनों पर गुफा मे बैठी माँ भी मंद मंद मुसकुरा रही थी , आकाश से मानो सारे देवी देवता फ़ूलॊ की वर्षा कर रहे हो । कोरियोग्राफ़र जी बच्चियों को भारतीय नृत्य की स्टेप बता रहे व गोकुल भैया केमरा सेट कर रहे थे । कूछ माता के भक्त गुफा से पहाडी पर कलाकारो के लिये पानी की व्यवस्था कर रहे थे ,
हमारे अम्बे भक्त युवराज भाई जनरेटर की बन्द चालू करने की व्यवस्था सम्भाल रहे थे ।
तो कोई माता के दरबार मे इन बालिकाओं के लिये फुलावा बना रहा था । हिडली की बालिकाओं को झूले झूले हिंडोले के भजन के डांस की स्टेप धीरज शिवहरे बता रहे थे ।
माँ अम्बादेवी का रुप धरी बालिकाएं सतपुडा पहाडी पर दौड़ लगा रही थी । 
ये जो कूछ भी हो रहा था वो अम्बे माँ की कृपा से हो रहा था क्युकी ये यहाँ उपस्थित सभी कलाकारों का पहला ही एलबम था ।
इन सभी बालिकाओं के माता पिता भी यहाँ डांस देखने के लिये उपस्थित हुये थे ।
माता भगवती दुर्गा के महिमा पर आधारित भजन एलबम माई का डंका बाजे रे 
के भजनों का डांस शूट करते कब शाम हो गई पता ही नही चला ।
सभी की बिदाई करने के बाद भजन एलबम टीम के लोग घर के लिये निकले । 
चाँदनी बघेल गायिका की भजनों के लिये लिप्सिंग ना मिलने की वजह से बहूत परेशानी का सामना करना पड़ रहा था उस माता के भक्त को ।
अब इन्ही भजनों को दूसरे लोकेशन पर शूट करना था ।
इसलिए  वापस सभी बालिकाओं डांस कलाकारों को गूप्तेश्वर शिव धाम आठनेर की पहाडी पर आना पड़ा ।
इस स्थान पर माँ अम्बा माई के भक्त सुनील भोपले और गुणवन्त बर्डे का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ ।
राठौर डी जे साउंड आठनेर माता के भजनों को बजा रहे थे । जिले के विख्यात केमरामेन पप्पू शैलेंद्र यादव के निरीक्षण वीडियो शूट का कार्य चल रहा था । 
नीचे भगवान शिव के दरबार के सामने ने माँ अम्बा रानी का झूला बांधा गया था ।यहाँ पर भी भजनों को शूट करते करते शाम हो गई थी । सभी कलाकारो ने प्रसाद लिया फूलावे का फ़िर घर की ओर प्रस्थान किया ।
अब माई का डंका बाजे रे  एलबम के दर्द भरे गीत की शूटिंग बच गई थी जिसके लिये लोकेशन तलाश किया गुणखेड के एक बगीचे का जिसमे पुन : नृत्य कलाकारों का आगमन हुआ ।
खेल रही मेरी अम्बा भवानी भजन मे माँ अम्बा का रोल वैशाली चढोकर को करना था ।
इस शूटिंग को देखने के लिये भी नगर के अच्छे लोग आ रहे थे । बालिकाओं ने सारे बगीचे का नक्शा ही बदल दिया था खैर उन्हे तो पैसे देने वाले थे एलबम वाले ।
वह माता का भक्त ही भजन एलबम का संयोजन कर रहा था इसलिये इन सभी व्यवस्थाओं का पैसा भी उसे ही देना पड़ता था ।
कहाँ से पैसा आता था उस माता के भक्त के पास और वह इन दिनो कहाँ सोता था कहाँ उसका दिन निकलता था ये कोई भी नही जानता था ।


वो तो माँ भवानी के मार्गदर्शन पर ही ये सब कूछ कर रहा था । डांस मास्टर विकास साहू ने जो माँ अम्बा के एलबम के सहयोग दिया जिसकी जितनी प्रशंसा की जाये कम ही है । जिन लोगो ने भी इन दृश्यों को देखा वो देखते ही रह गया ।
उस माता के भक्त ने अपनी जिंदगी मे कभी सपने मे भी नही सोचा था की वो इतना सारा इतिहास रच पायेगा ।  ये सब कूछ माँ शेरोंवाली की कृपा से ही हो पाया है । बैतूल जिले के इतिहास का पहला एलबम था जिसने इस वक्त सारे जहाँ मे माई का डंका बजा दिया है ।