रविवार, 29 मार्च 2020

कौन थी रावण और मेघनाथ की कुलदेवी जानिये

कौन थी रावण और मेघनाथ की कुलदेवी जानिये

मेघनाथ ने अपनी कुलदेवी की आराधना करकें कई शक्तियां प्राप्त की थी ।
 आज हम आपको रावण और मेघनाथ की कुलदेवी कें बारे में जानकारी देंगे ।
रावण की कुलदेवी माँ भवानी निकुंबला शक्ति पीठ यह स्थान मध्यप्रदेश के बैतूल जिला मुख्यालय से लगभग 8 किलोमीटर दूर बैतूल बाजार गांव में स्थित है जैसा कि माँ निकुंबला का सम्बंध रावण कुल से है किंतु रावण से ज्यादा इस स्थान पर रावण पुत्र मेघनाथ यानी इंद्रजीत का सम्बंध माँ से है अतः माँ के स्थान पर मेघनाथ की भी प्रतिष्ठा माँ के सामने है इंद्रजीत इन्ही की साधना कर बैतूल से आगे पाताल कोट के रास्ते पाताल लोक गया था और वहां उसने दैत्य गुरु शुक्राचार्य जी को प्रसन्न कर लिया तब दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने मेघनाथ को दिक्षा दी एवं उसे माँ निकुंबला की साधना करने को कहा और गुप्त मंत्र और विधि भी बताई ।
 मेघनाथ ने माँ निकुंबला की साधना पूरी की तब भवानी प्रसन्न हो कर उसे एक रथ का वरदान दिया और कहा कि जब जब तुम्हें युद्ध में जाना हो तो मेरा तांत्रिक अभिषेक कर मुझे खप्पर बलि पूजा देकर इस रथ पे सवार होगा तो तुझे सारे शत्रुओं का संहार करने की शक्ति प्राप्त हो जाएगी और तुझे कोई पराजित नही कर सकता आज भी माँ भवानी निकुंबला का साल के कुछ विशेष दिनों में तांत्रिक अभिषेक और हवन पूजन सम्पन्न होता है निकुंबला का यह रहस्य मय मन्दिर में प्रविष्ट होते ही आपके शरीर के सारे रोगों का अपने आप ही नाश होने लगता है एवं माँ के अभिषेक का जल लोग अपने सांथ ले जाते हैं दूर दूर से लोग माँ के दर्शन को आते है न किंतु यहां केवल दिन में दर्शन कर सकते हैं रात्रि में इस स्थान पे रुकने की आज्ञा किसी को नही है केवल अघोर साधकों के लिये यह स्थान रात्रि विशेष के लिये निश्चित है





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