सोमवार, 4 मार्च 2019

उत्तम सागर शिव मन्दिर इतिहास बैतूल

एक ऐसा शिव मन्दिर जहाँ मन्नतें पूरी होते ही श्रध्दालूओ द्वारा शिव को चढ़ाए जाते है सोने और चाँदी कें गहने


मध्यप्रदेश कें बैतूल जिले अन्तर्गत मुलताई तहसील कें ग्राम दातोरा कें समीप की उत्तम सागर की पहाड़ी पर वर्ष भर में दो बार विशाल मेला लगता है ।
कृष्णजन्माष्टमी और शिवरात्रि को इस शिव मन्दिर में मध्यप्रदेश ही नही महाराष्ट्र कें भी भक्तो का तांता लगा रहता है । इस पहाड़ी पर स्थित बाबा कें चरणो अर्जी लगाने से गम्भीर से गम्भीर बीमारी से भी राहत मिल जाती है ।यहां पर मस्से और मेध की बीमारी से दुखी लोग अधिकांश मन्नत मांगने आते है ।  उसी कें परिणाम स्वरूप शिव मन्दिर में विशेष रूप से चाँदी और सोने कें मस्से और मेंध भक्तों द्वारा दान स्वरूप शिव ज़ी को भेट की जाती है । यह पहाड़ी मुलताई क्षेत्र की सबसे ऊंची और आकर्षक होने की वजह से इसे उत्तम नाम से पुकारा जाने लगा ।

उत्तम सागर की पहाड़ी पर एक छोटा सा तालाब था जो  इतनी ऊचाई पर होने कें बाद भी कभी नही सुकता था । ऐसा कहा जाता है की इस पहाड़ी पर प्राचिनकाल में एक बाबा रहा करते थे जिनके पास सफेद रंग का घोड़ा था । दातोरा गाँव कें भक्तों ने कई बार उन्हे उत्तम सागर की पहाड़ी पर विचरण करते देखा है । इस तरह इस स्थान को उत्तम सागर कें नाम से जाना जाने लगा । कहते है की उत्तम सागर की पहाड़ी कें छोटे से तालाब कें समीप एक बेलपत्र कें पेड़ की विधिवत पूजा अर्चना करने कें पश्चात कृष्ण जन्माष्टमी कें भंडारे कें लिए बर्तन सामग्री निकलती थी । उत्तम सागर कें शिव मन्दिर का निर्माण दातोरा कें भोले पटेल द्वारा 100 वर्ष पूर्व किया गया था ।

उत्तम सागर कें बारे में बुजुर्गो द्वारा एक पौराणिक मान्यता बताई जाती है यहां स्वयं शिव शंकर ज़ी ने कुछ पल विश्राम किया था जब उनके पिछला भस्मासुर नामक राक्षस कार रहा था तभी से इस स्थान की कीर्ति जनमानस में प्रतिस्थापित होने लगी । उत्तम सागर शिव मन्दिर पहुचने कें लिए भक्तों को सात पहाड़ियों से होकर गुजरना पड़ता है जिसकी लम्बाई लगभग 2 कि .मी .कें लगभग मानी जाती है ।
उत्तम सागर शिव मन्दिर कें समीप स्थित देवझिरी और दातोरा दोनो ही गाँव से चलकर आसानी से उत्तम सागर बाबा दर्शन कें लिए आ सकते है ।
उत्तम सागर में स्थित शिव मंदिर को लेकर मान्यता है कि यदि किसी के शरीर पर मस्सा हो जाता है तो वह चांदी से निर्मित मस्से को मंदिर में अर्पित करें तो उसे मस्से से निजात मिलती है। इस मान्यता के चलते जन्माष्टमी पर सैकड़ों श्रद्घालु चांदी से निर्मित मस्सा मंदिर में अर्पित करते हैं। शिवरात्रि के अवसर पर भी हजारों श्रद्घालु उत्तम सागर पहुंचकर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करते हैं ।

इस उत्तम सागर की पहाड़ी पर सफेद घोड़े वाले बाबा आज भी निवास करते है , यहां की पावन पहाड़ी उनकी तपोभूमि है और उनके ही तपोबल से यहां अर्जी लगाने वालो की मन्नतें पूरी होती है ।






इस स्थान का प्रचार प्रसार इसलिए नही हुआ क्युकी बैतूल क्षेत्र में इतिहास संकलनकर्ताओ की कमी है अपितु यहां कें जागरूक लोगो ने कभी प्रयास ही नही किया । लेकिन धर्म प्रचार प्रसार मंच द्वारा यहां निरीक्षण करते हि यहां औषधीय पौधो लगाने की सरकारी योजना पास हुई और आगे इस उत्तम सागर धाम की महिमा जनमानस में प्रतिस्थापित करने कें लिए भक्तिमय एलबम निर्माण का भी प्रयास किया जाने वाला है ।
हमारे मंच कें राष्ट्रीय प्रभारी रविन्द्र मानकर ज़ी द्वारा लंबे अंतराल से उत्तम सागर इतिहास पर रिसर्च किया जा रह जो  इस प्रकार था ।


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