रविवार, 17 मार्च 2019

बोकनेश्वर महादेव दर्शन यात्रा पीथमपुर

प्रिय धर्म प्रेमी भाईयो आज कि धर्म यात्रा में हम आपको बोकणेश्वर महादेव धाम की यात्रा कराने चलते है । शिवरात्रि  कें पावन पर्व यहां की 1200 से भी अधिक कम्पनियों में कार्य करने वाले श्रमिको मेला लगता है । सुबह से  लेकर शाम तक भोलेनाथ कें दर्शन कें लिए श्रध्दालू जाते रहते है । तो चलिए साथियो हमारे यात्रा बोकणेश्वर बाबा कें धाम की यात्रा करने और उस स्थान से जुडी मान्यताओ को जानने कें लिए ।

मिनी भारत कें नाम से जाने वाले औधोगिक शहर पीथमपुर कें आयशर चौराहा से होते हुई बोकणेश्वर धाम की दूरी लगभग तीन किलोमीटर कें लगभग है । पीथमपुर से शिव बाबा कें धाम तक पक्की सड़क का निर्माण हो चुका है लेकिन सालभर वहां जाने कें लिए साधन नही मिलते है । शिवरात्रि कें दिन हि मेले में पहुचने कें लिए साधनो का आवागमन चलते रहता है । आयशर चौराहा से आगे चलकर सवारियां सेठ का मन्दिर दिखाई पड़ता है जहाँ से आगे चलकर शिव बाबा कें धाम पहुंचा जा सकता है ।

 जहाँ प्रतिवर्ष शिवरात्रि को विशाल भण्डारे का आयोजन होता है और यहां निवास करने वाले भारतवर्ष ने अनेक जातियो व समाज कें लोग माथा टेकने आते है ॥ इस पीथमपुर शहर की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यहां पर भारत कें कोने कोने कें लोग मिल जाएंगे । शिव बाबा कें धाम पहाड़ी तक पहुचते हुए कई कम्पनिया मार्ग में आती है ।   आइए साथियो हमारे साथ आगे बढ़ते हुए शिव बाबा कें बोकणेश्वर धाम की ओर चलते है ।
 
पीथमपुर उद्योग नगरी के समीप ग्राम तारपुरा की पहाडिय़ों के बीच हरियाली से आच्छादित है बोकनेश्वर महादेव मंदिर, जो अपने आप में कई विशेषताएं समेटे हुए है। यहां दशकों पूर्व जो कुंड बनाया गया था, उसका पानी कभी नहीं सूखता। पहाड़ी की इतनी ऊंचाई पर बने इस कुंड में सालभर पानी उपलब्ध होना अपने आप में आश्चर्यजनक बात है, क्योंकि आसपास के क्षेत्र के अधिकांश जलस्त्रोत ग्रीष्मकाल में सूख जाते हैं।

बोकनेश्वर मंदिर परिसर में मौजूद इस कुंड का पानी केवल मंदिरों में पूजन, अन्य धार्मिक कार्य, अभिषेक के अलावा यहां स्थित पेड़-पौधों की सिंचाई के लिए काम में लिया जाता है। इस मंदिर संकुल परिसर में जो प्राचीन मंदिर स्थित है वह करीब डेढ़ से दो सदी पुराना है।

यहां शिवलिंग और उस पर नाग की प्रतिमा का दशकों से पूजन किया जा रहा है। शिवरात्रि पर मंदिर समिति के तत्वावधान में प्रतिवर्ष मेला लगता है, जिसमें कई व्यवस्थाएं नगर पालिका करती है। यहां आम, जामुन, यूकेलिप्टस, नीम, बरगद सहित कई पेड़ मौजूद हैं जो हरियाली का वातारवरण प्रदान करने के साथ ही वायु प्रदूषण से मुक्ति भी दिलाते हैं। यहां आकर शिवभक्तों का तन-मन पावन हो जाता है।

आल्हा-उदल की गुफा भी है मौजूद
धर्म प्रचार प्रसार मंच कें प्रचार रविन्द्र मानकर जी को मन्दिर समिति टीम द्वारा बताए अनुसार इस कुंड के समीप ही जो झरना बहता है, उसकी तलहटी में पहाडिय़ों के बीच सदियों पुरानी गुफा मौजूद है, जो बोकनेश्वर से मांडू तक जाती है। कुछ दशकों पूर्व सुरक्षा की दृष्टि से इसे बंद कर दिया गया। बुजुर्गों के मतानुसार यहां से मांडू की गुफा तत्कालीन राजाओं ने सामरिक सुरक्षा की दृष्टि से बनाई होगी।

शनि शिंगणापुर की तर्ज पर स्थापित है पाषाण प्रतिमा
मंदिर पुजारी परसराम पुरी ने बताया कि बोकनेश्वर महादेव मंदिर परिसर मेंं शनि मंदिर भी निर्मित है। कुछ समय पूर्व ही यहां शनि शिंगणापुर की तर्ज पर काले पत्थर से निर्मित शनि प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा विधि-विधान से की गई थी। कुंड के समीप निर्मित इस शनि मंदिर में शिंगणापुर मंदिर की तरह सभी निषेधों का पालन किया जाता है।।

हमारे धर्म प्रचार प्रसार मंच की टीम ने इस स्थान से जुडी कई लोक मान्यताओ का भी संकलन किया है जो आपको इस वीडियो discription में प्राप्त होगा ।

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