Amba devi – यहां होती हैं सारी मनोकामना पूरी/ Here all wishes are fulfilled
कहते है पहाड़ो वाली माँ अम्बाजी सबकी मुरादें पूरी करती है । उसके दरबार में जो भी भक्त सच्चे दिल से जाता है उसकी हर मुराद पूरी होती है , ऐसा ही सच्चा दरबार माँ अम्बाजी का है , माँ अम्बाजी का अत्यंत प्राचिन मन्दिर मध्यप्रदेश कें बैतूल जिले कें ग्राम धारूल पंचायत में स्थित है । देवी अम्बाजी का चमत्कारी शक्तिपीठ महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा रेखा पर स्थित है । बैतूल जिले कें सतपुड़ा कें घने जंगलो में विराजि माँ अम्बाजी का मन्दिर मध्यप्रदेश का सबसे अधिक पूजनिय और पवित्र मंदिरो में से एक है ।
शक्ति कें उपासकों कें लिए यह मन्दिर बहूत महत्व रखता है ।
माँ अम्बाजी का मन्दिर बैतूल रेलवे स्टेशन से 90 कि.मी , नागपुर से 141 और भोपाल से 266 कि.मी कि दूरी पर स्थित है ।
माँ अम्बाजी दरबार का रास्ता जंगलो से होकर गुजरता है , आठनेर से हीरादेही होते हुए श्रध्दालु धारूल गांव पहुंचते है जहाँ से पहाड़ो में विराजी माँ कें मन्दिर की दूरी 4 किमी रह जाती है ।
माँ कें दर्शन कों आने वाले भक्तगण छोटी अम्बादेवी देवस्थान पहुंचकर यहाँ अपने वाहनों कों खड़ा करते है । छोटी माँ अम्बा देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने कें बाद बड़ी अम्बा देवी कें दर्शन कें जंगल कें रास्ते से आगे बढ़ते है ।
लगभग 1.5 कि.मी की दूरी तय करने कें बाद श्रध्दालु गण माँ अम्बाजी चमत्कारी गुफा में पहुंचते है ।
माँ अम्बाजी कि पवित्र गुफा में प्रवेश करते ही भक्तों का हृदय अध्यात्म और शक्ति से भर उठता है ।
शक्ति स्वरूपा अम्बाजी का मन्दिर देश कें अत्यंत प्राचिन 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है । कहते है कि यहां माँ सती का हृदय गिरा था ।
माँ अम्बाजी के मन्दिर की उत्पति कें बारे में कहाँ जाता है की आठनेर विकासखण्ड कें सावंगी गांव की राधा बाई कों भगवान शिव और माँ पार्वती ने दर्शन
देकर यहाँ की गुप्त गुफा कें दर्शन कराए थें ।
राधा ने मणिहारी बेचने वालो अपनी सखी कों अम्बा देवी की सेवा करने की जवाबदारी सौपी ।
मंगला ने अम्बाजी जी की तपस्या कर देवी की सिद्धि प्राप्त कर ली ।
देवी मंगला द्वारा अम्बाजी धाम कें लिए पुजा का विधि विधान तैयार किया गया जिसके अनुसार यहां माता का प्रतिदिन स्नान और श्रंगार पूजन किया जाता है ।
तपस्वी ने यह नियम भी बनाया था की इस स्थान कों जाग्रत रखने कें गुरू पूर्णिमा कें दिन दिन बारह बजे और प्रत्येक माह की पूर्णिमा कों देवी हवन किया जाये है ।
कहते है की सच्चे मन से जो भी भक्त माँ अम्बाजी कों जाता है वह खाली हाथ नही लौटता है ।
वह किसी न किसी बहाने माता कें दर्शन कों पहुँच ही जाता है ।
कहते है की जो भी भक्त माता कें दर्शन कों अम्बाजी जाता है और भैरोनाथ जी कें दर्शन नही करता उसकी यात्रा पूरी नही होती । भक्तगण माता अम्बा देवी शक्तिपीठ की पवित्र गुप्त गंगा कें जल से स्नान कर माता अम्बा देवी दर्शन और पुजा कें लिए पूजन सामग्री खरीदते है इसके बाद भक्तगण आगे गुफा कें प्रवेश द्वार की ओर बढ़ते है ।
अम्बाजी मन्दिर कें प्रवेश द्वार पर भगवान गणेश जी की प्रतिमा विराजमान है , भक्तगण गणेश जी का प्रथम पूजन कर स्वयं भू प्रकट हूँ अम्बाजी का पूजन करते है ।
माँ अम्बा देवी की प्रतिमा का महाकाल मन्दिर जैसै ही माता का जलाभिषेक कर श्रंगार और पूजन किया जाता है ।
माँ अम्बाजी कों भक्तगण साड़ी , चुनरी और श्रंगार भेंट कर माता की वोटी भरते है । इसके बाद श्रध्दालु अम्बादेवी शक्तिपीठ में वैभवशाली सत्ता कें साथ विराजमान शिव शंकर जी , काली माता प्रतिमा , अन्नपूर्णा माता , नागदेवता , श्री रेणुका दरबार , माँ शेरोंवाली , भैरव बाबा आदि देवी देवताओ का विधिवत पूजन करते है ।
गुफा में बैठी माँ अम्बाजी अपने भक्तों कों स्वप्न देकर बुलावा भेजती और उनको यश कीर्ति और विद्वान बनाती है ।
भगवती अम्बाजी स्वयं यहाँ विराजमान है और अपनी शक्ति का चमत्कार दिखाते रहती है । देवी भक्त रविन्द्र ने देवी कें चमत्कारो का एक बढ़ा संग्रह तैयार करके रखा है जिसमे एक दर्जन से अधिक माँ शेरोंवाली कें दरबार से जुड़ी सत्य घटनाए सम्मिलित है । देवी अम्बाजी कें भक्त रविन्द्र कें अनुसार माता कों प्रसन्न करने कें लिए श्री दुर्गा सप्तशती माहात्म्य का पाठ करना आवश्यक है ।
देवी अम्बाजी कें चमत्कारी शक्तिपीठ की देखरेख वर्तमान में आठनेर की एक प्राइवेट समिति द्वारा की जा रही , वही देवी कें सिद्धपीठ का दिनो - दिनो बढ़ते प्रचार की वजह से जिला कलेक्टर ने मन्दिर कों पर्यटन की सूची में प्रमुखता दी है और यहां सरकारी ट्रस्ट गठित करने हेतू प्रयास किया जा रहा है ।
कहते है पहाड़ो वाली माँ अम्बाजी सबकी मुरादें पूरी करती है । उसके दरबार में जो भी भक्त सच्चे दिल से जाता है उसकी हर मुराद पूरी होती है , ऐसा ही सच्चा दरबार माँ अम्बाजी का है , माँ अम्बाजी का अत्यंत प्राचिन मन्दिर मध्यप्रदेश कें बैतूल जिले कें ग्राम धारूल पंचायत में स्थित है । देवी अम्बाजी का चमत्कारी शक्तिपीठ महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा रेखा पर स्थित है । बैतूल जिले कें सतपुड़ा कें घने जंगलो में विराजि माँ अम्बाजी का मन्दिर मध्यप्रदेश का सबसे अधिक पूजनिय और पवित्र मंदिरो में से एक है ।
शक्ति कें उपासकों कें लिए यह मन्दिर बहूत महत्व रखता है ।
माँ अम्बाजी का मन्दिर बैतूल रेलवे स्टेशन से 90 कि.मी , नागपुर से 141 और भोपाल से 266 कि.मी कि दूरी पर स्थित है ।
माँ अम्बाजी दरबार का रास्ता जंगलो से होकर गुजरता है , आठनेर से हीरादेही होते हुए श्रध्दालु धारूल गांव पहुंचते है जहाँ से पहाड़ो में विराजी माँ कें मन्दिर की दूरी 4 किमी रह जाती है ।
माँ कें दर्शन कों आने वाले भक्तगण छोटी अम्बादेवी देवस्थान पहुंचकर यहाँ अपने वाहनों कों खड़ा करते है । छोटी माँ अम्बा देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने कें बाद बड़ी अम्बा देवी कें दर्शन कें जंगल कें रास्ते से आगे बढ़ते है ।
लगभग 1.5 कि.मी की दूरी तय करने कें बाद श्रध्दालु गण माँ अम्बाजी चमत्कारी गुफा में पहुंचते है ।
माँ अम्बाजी कि पवित्र गुफा में प्रवेश करते ही भक्तों का हृदय अध्यात्म और शक्ति से भर उठता है ।
शक्ति स्वरूपा अम्बाजी का मन्दिर देश कें अत्यंत प्राचिन 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है । कहते है कि यहां माँ सती का हृदय गिरा था ।
माँ अम्बाजी के मन्दिर की उत्पति कें बारे में कहाँ जाता है की आठनेर विकासखण्ड कें सावंगी गांव की राधा बाई कों भगवान शिव और माँ पार्वती ने दर्शन
देकर यहाँ की गुप्त गुफा कें दर्शन कराए थें ।
राधा ने मणिहारी बेचने वालो अपनी सखी कों अम्बा देवी की सेवा करने की जवाबदारी सौपी ।
मंगला ने अम्बाजी जी की तपस्या कर देवी की सिद्धि प्राप्त कर ली ।
देवी मंगला द्वारा अम्बाजी धाम कें लिए पुजा का विधि विधान तैयार किया गया जिसके अनुसार यहां माता का प्रतिदिन स्नान और श्रंगार पूजन किया जाता है ।
तपस्वी ने यह नियम भी बनाया था की इस स्थान कों जाग्रत रखने कें गुरू पूर्णिमा कें दिन दिन बारह बजे और प्रत्येक माह की पूर्णिमा कों देवी हवन किया जाये है ।
कहते है की सच्चे मन से जो भी भक्त माँ अम्बाजी कों जाता है वह खाली हाथ नही लौटता है ।
वह किसी न किसी बहाने माता कें दर्शन कों पहुँच ही जाता है ।
कहते है की जो भी भक्त माता कें दर्शन कों अम्बाजी जाता है और भैरोनाथ जी कें दर्शन नही करता उसकी यात्रा पूरी नही होती । भक्तगण माता अम्बा देवी शक्तिपीठ की पवित्र गुप्त गंगा कें जल से स्नान कर माता अम्बा देवी दर्शन और पुजा कें लिए पूजन सामग्री खरीदते है इसके बाद भक्तगण आगे गुफा कें प्रवेश द्वार की ओर बढ़ते है ।
अम्बाजी मन्दिर कें प्रवेश द्वार पर भगवान गणेश जी की प्रतिमा विराजमान है , भक्तगण गणेश जी का प्रथम पूजन कर स्वयं भू प्रकट हूँ अम्बाजी का पूजन करते है ।
माँ अम्बा देवी की प्रतिमा का महाकाल मन्दिर जैसै ही माता का जलाभिषेक कर श्रंगार और पूजन किया जाता है ।
माँ अम्बाजी कों भक्तगण साड़ी , चुनरी और श्रंगार भेंट कर माता की वोटी भरते है । इसके बाद श्रध्दालु अम्बादेवी शक्तिपीठ में वैभवशाली सत्ता कें साथ विराजमान शिव शंकर जी , काली माता प्रतिमा , अन्नपूर्णा माता , नागदेवता , श्री रेणुका दरबार , माँ शेरोंवाली , भैरव बाबा आदि देवी देवताओ का विधिवत पूजन करते है ।
गुफा में बैठी माँ अम्बाजी अपने भक्तों कों स्वप्न देकर बुलावा भेजती और उनको यश कीर्ति और विद्वान बनाती है ।
भगवती अम्बाजी स्वयं यहाँ विराजमान है और अपनी शक्ति का चमत्कार दिखाते रहती है । देवी भक्त रविन्द्र ने देवी कें चमत्कारो का एक बढ़ा संग्रह तैयार करके रखा है जिसमे एक दर्जन से अधिक माँ शेरोंवाली कें दरबार से जुड़ी सत्य घटनाए सम्मिलित है । देवी अम्बाजी कें भक्त रविन्द्र कें अनुसार माता कों प्रसन्न करने कें लिए श्री दुर्गा सप्तशती माहात्म्य का पाठ करना आवश्यक है ।
देवी अम्बाजी कें चमत्कारी शक्तिपीठ की देखरेख वर्तमान में आठनेर की एक प्राइवेट समिति द्वारा की जा रही , वही देवी कें सिद्धपीठ का दिनो - दिनो बढ़ते प्रचार की वजह से जिला कलेक्टर ने मन्दिर कों पर्यटन की सूची में प्रमुखता दी है और यहां सरकारी ट्रस्ट गठित करने हेतू प्रयास किया जा रहा है ।
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