गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

पूर्वान्चल के तट पर पाँच दिवसीय ताप्ती महोत्सव एवं श्री ताप्ती माहात्म्य का समापन हुआ







पूर्वान्चल के तट पर पाँच दिवसीय ताप्ती महोत्सव एवं श्री ताप्ती माहात्म्य का समापन हुआ
 धर्म – प्रचार प्रसार मंच एवं माँ सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति मध्यप्रदेश के बैनर तले शुरू हुआ। पहले दिन ग्राम पोहर की गलियों में सैकड़ो की संख्या में ग्रामिणो ने कलश यात्रा में भाग लिया। यात्रा के दौरान आगे – आगे श्री गणेश उसके पीछे भोलेनाथ भंडारी का रूप धारण कर छोटे – छोटे बालक / बालिकाओं के साथ स्त्री – पुरूष चले रहे थे।पूरा ग्राम भ्रमण पर कलश यात्रा एवं ताप्ती पुराण को लेकर चल रहे लोगो पर ग्रामिणो ने पुष्प वर्षा की तथा हर घर के सामने महिलायें हाथो में आरती सजा कर कलश की पूजा अर्चना करती जा रही थी। तीन सौ से अधिक घरो की बसती ग्राम पोहर पूरी तरह से ताप्ती मय हो गई थी। ग्रामिणो की कलश यात्रा ग्राम के बीच में स्थित शिव मंदिर पहुंची जहां पर बाबा भोला भण्डारी सहित अन्य देवी – देवताओं की पूजा अर्चना की गई। दोपहर दो बजे से माँ सूर्यपुत्री ताप्ती महात्मय की संगीतमय कथा की शुरूआत की गई। पाँच दिवसीय ताप्ती महोत्सव के पहले दिन भव्य कलश यात्रा के बाद सियार ( भैंसदेही ) ग्राम की श्री ताप्ती महात्म्य कथा वाचिका सुश्री वर्षादेवी ने ताप्ती कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। कथा आरम्भ में श्री वर्षा देवी ने सत्संग की महिमा का विस्तार पूर्वक संगीतमय रूप में किया ।
द्वितीय दिवस ताप्ती महात्म्य कथा के प्रथम चरण में श्री वर्षा देवी ने कथा में धरती पर ताप्ती अवतरण के बारे में बताया कि जब धरती सूर्य के तेज से जलने लगी और उनकी पत्नि संध्या उनके तेज को सहन न करने की स्थिति में वह अपनी परछाई छाया को सूर्य लोक में छोड़ कर तपस्या करने चली गई। सूर्य के तेज के चलते जल – जीवन को नष्ट होता देख पृथ्वी सहित अन्य देवी – देवता सूर्यदेव के पास प्रार्थना करने पहुंचे। सूर्यदेव के तेज से बुरी तरह झूलस रही पृथ्वी को संकट से उबारने के लिए सूर्यदेव ने अपनी पुत्री ताप्ती को जल के रूप में अवतरीत होकर बहने का आदेश दिया। पृथ्वी पर बहते जल के रूप में आई ताप्ती ने सबसे पहले पृथ्वी की और उसके बाद पृथ्वी वासियों की पीड़ा का हरण किया। जल के रूप में पृथ्वी पर अवतरीत हुई पुण्य सलिला माँ सूर्यपुत्री ताप्ती के अवतरण के साथ ही दूसरे दिन की ताप्ती कथा का द्वितीय दिवसीय कथा का समापन ताप्ती जी की संध्याकालिन आरती के साथ हुआ। श्री ताप्ती आरती में भारी संख्या में ग्रामिणो ने भाग लिया। श्री ताप्ती महात्मय कथा आरती के बाद महाप्रसादी का वितरित की गई । इस अवसर पर धर्म प्रचार -प्रसार मंच के प्रमुख व धर्म प्रचारक श्री रविन्द्र मानकर जी ने बताया गया कि आज 14 जनवरी मकर संक्राति के दिन भगवान सूर्य दक्षिणायन से उतरायण हो रहे हैं। आज के दिन भगवान सूर्य स्वयं अपने पुत्र न्याय के देव कर्म फलदाता शनि से मिलने उनके लोक जा रहे हैं। 15 जनवरी श्री ताप्ती महोत्सव तृतीय दिवस कथा आरम्भ में किशोरी वर्षा देवी ने वरूण देव को अगस्त मुनि द्वारा दिये श्राप व मुक्ति हेतु उनके चन्द्रवंशी अवतार राजा संवरण के मनुष्य लीलाओं का वर्णन किया । श्री ताप्ती महोत्सव के तृतीय दिवस कथा में मंच के ताप्ती भक्तों ने माँ सूर्यपुत्री ताप्ती और राजा संवरण का विवाह झांकी द्वारा सम्पन्न किय़ा ।
श्री ताप्ती और राजा संवरण की विवाह झांकी में अनेक बाराती सम्मिलित हुये जिसमें वर पक्ष से ओम धोटे ,  संजय लोखंडे ,  विजय कुम्भारे , सचिन वागद्रे , पर्वत बारस्कर वही ताप्ती वधू पक्ष से शैलेन्द्र गीद,  नंदनी धोटे ,  गरिमा ,  पल्लवी ,  गुरू वशिष्ठ , रवि मानकर आदि देवी देवतागण व नगर वासी सम्मिलित हुये ,  इसी रात्रि कथा वाचिका सुश्री वर्षा देवी ने श्री राम कथा और भगवान शिव व माँ पार्वती का झांकी द्वारा विवाह सम्पन्न किया गया ।
श्री ताप्ती महात्म्य कथा के चौथे दिन सुश्री वर्षा देवी ने माँ पतित पावनी ताप्ती मईया के उदगम स्थली पर स्थित दिव्य साथ कुंडों की महिमा सुनाई ।  पन्द्रह जनवरी ताप्ती महोत्सव में संगीतमय कथा के बिच भजनों पर अनेक ताप्ती भक्तों ने नृत्य प्रस्तुतियां दी । रात्रि में महा दीप यज्ञ कार्यक्रम में माँ धारूड अम्बा माई और श्री ताप्ती माई के भजनों पर सारें गांव के धर्म प्रेमी माता की भक्ति रस में डूबकर नाचने झुमने लगे ।
श्री ताप्ती महात्म्य कथा के अंतिम दिवस के आरम्भ में कथा वाचिका वर्षा देवी ने एक कुंडिय गायत्री यज्ञ सम्पन्न किया व 10 प्रकार के संस्कार करवाये गये ।
कार्यक्रम का आयोजन ग्राम पोहर वासियों के सहयोग से करने वाली आयोजन समिति धर्म प्रचार – प्रसार मंच ने ताप्ती कथा के माध्यम से लोगो की रक्षा के संकल्प को महाकुंभ का नाम दिया। धर्म प्रचार प्रसार मंच में जिला अध्यक्ष शैलेन्द्र गीद जी द्वारा बताया गया कि धर्म प्रचार -प्रसार मंच माँ पूर्णा के किनारे रहने वाले सभी ग्रामिणो की रक्षा के लिए ताप्ती महात्मय का आयोजन कर रही है। पाँच दिवसीय ताप्ती महोत्सव कार्यक्रम में 17 जनवरी अंतिम ताप्ती कथा के दिन सुबह यज्ञशाला में सैकड़ो की संख्या में ग्रामिण यज्ञ आहुति डाली । पांच दिवसीय श्री ताप्ती महोत्सव इस धार्मिक आयोजन में पूण्य सलिला माँ सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति एवं धर्म प्रचार – प्रसार मंच ग्रामिणो के माध्यम से जल है तो कल है , ताप्ती जल आज और कल है के मूल सिद्धांत पर लोगो को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करेगे।  श्री ताप्ती महात्म्य कथा के अंतिम दिवस ताप्ती कथा रसपान करने पधारे ताप्ती भक्त ने कथा समापन के बाद में श्री ताप्ती जल के वैज्ञानिक प्रभाव की महिमा बताई और 18 फऱवरी को उनके पुत्र के विवाह में समस्त पोहर वासीयों को आमंत्रित दिया । श्री ताप्ती महात्म्य कथा को सफल बनाने में मंच के प्रदेश अध्यक्ष श्री राज बारसकर जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही ,  श्री राज जी ने गांव के धर्म प्रेमियो को सन्देश देते हुये कहां की हमें बेटियो और माता-बहनों को सम्मानित करना चाहिये धार्मिक कार्यक्रमो में व नेताओं के सम्मान पर रोकथाम लगाना चाहिये । वही श्री युवराज कापसे जी ने समस्त धर्म प्रेमियो से अपील की आज धर्म रक्षा और अपनी संस्कृति को लुप्त होने से बचानें के लिये हमें समाजवाद , पार्टीवाद , संगठनवाद से ऊपर उठकर प्रयास करने की जरूरत है ।  बैतूल जिले का पोहर-भैंसदेही एक मात्र ऐसा गांव सामने आया जिसने धार्मिक कार्यक्रमो में नेताओं को खुलकर प्रयास किया ।  पोहर जहाँ एक ताप्ती भक्त अपने गांव को ताप्तीमय बनाकर प्रतिवर्ष ताप्ती कथा आयोजन की पहल की वही एक जागरूक युवक ने विदेश से चिकित्सा की डिग्री प्राप्त कर अपने गांव के अलावा अनेक ग्रामीणोंं को रोग मुप्त का प्रयास किया । गांव के प्रमुख श्री संदीप मगरदे विदेश से अपनी डाक्टरी पढाई कर आज जिले के अनेक दुखी लोगों का उपचार कर रहे और उन्हें राहत पहुँचा रहे । आज सारे पोहर गांव को शैलेन्द्र गीद और संदीप मगरदे जैसे बेटों पर गर्व मेहसूस हो रहा है ।
श्री ताप्ती महोत्सव समाप्ति के अंतिम चरण में कथा टोली की बिदाई दी गई। संगीतमय ताप्ती कथा को सफल बनाने में भजन गायक और हार्मोनियम वाचक के रूप में श्री गणेश महाराज , बैंजो वाचक अर्जुन सिवण्कर जी ( केरपानी ) ,पेड वाचक श्री मंगेश वडाली , आर्गन वाजक विशाल जी ( छिंदवाडा ) आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही ।
पांचों दिन रात्री कालिन भजन संध्या का कार्यक्रम एवं समापन के दिन विशाल भण्डारे का आयोजन ग्राम पोहर वासियों की ओर से किया जाएगा।