शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2019

छावंल की माँ रेणुका की कहानी


       जय माँ रेणुका माता मन्दिर छावल 
            जिला बैतूल मध्यप्रदेश  


आमला नगर से लगभग 10 कि .मी. की  दूरी पर वो आदिशक्ति माँ दुर्गा का पावन दरबार है जहाँ रेणुका माता की कृपा से प्रतिदिन किसी न किसी भक्त की मनोकामना पूरी होती ही रहती है । जिस छावल रेणुका मन्दिर मे आज भक्तगण सिर झुका रहें है वही ईश्वर अपनी लीलाए रची थी । जहाँ सैकड़ो की संख्या में श्रध्दालु श्री रेणुका माता कें दर्शन करने आते हैं ।
देवी रेणुका भगवान परशुराम की जननी है । माँ हर रूप में धन्य है लेकिन जिस माँ ने साक्षात नारायण को जन्म दिया , उनकी महिमा तो देवताओ से भी बढ़कर है । देवी रेणुका ने इस संसार को परशुराम जैसा उपहार दिया था उनके इस उपहार को नमन कर रहा है सूर्यपुत्री ताप्ती नदी और सतपुड़ा की गोद में बसा ये प्राचिन छावल माता मन्दिर ।
यहाँ अपनी वैभवशाली सत्ता कें साथ विराजी रेणुका देवी की भक्ति में, उपासना में , जीवन कें चार पुरुषार्थ छिपे हुए , इसीलिए भक्तगण देवी की आराधना करना ही धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष्य को प्राप्त करना समझते  हैं । यहां की छावल रेणुका माता की जो भी भक्त सच्चे मन से भक्ति पूर्वक पांच यात्राएं करता हैं , माँ की कृपा से उसकी मनोकामना पूरी हो जाती हैं । इसीलिए छावलवाली माता को कल्प वृक्ष कें रूप में पूजा जाता हैं ।
देवी कें बारे में यहाँ कें लॊगॊ की मान्यता हैं की ,  माँ रेणुका देवी दिन में तीन बार रूप बदलती है। सुबह माता का मुख बाल्य मंडल अर्थात बाल्य अवस्था का होता हैं , दोपहर में मुख मण्डल युवा स्वरूप दिखाई देता हैं और शाज ढलते वृध्दा अवस्था का दिखाई देता हैं ।कहते है कि आज से लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व छावल गांव की पहाड़ी पर एक सन्त महात्मा तप किया करते थे । गांव कें आस पास जंगल  घना होने कें कारण यहां जंगली हिंसक जानवर विचरण किया करते थे ।जिसके वजह गांव में यह बाते फैली हुई थी की जिस पहाड़ी पर साधु महात्मा साधना कर रहें वहां शेर घूमते रहता है । इस तरह सन्त महात्मा ने देवी की कई वर्षो तक साधना की । एक दिन सन्त महात्मा को सपना आया , माँ जगदम्बा ने कहाँ की सामने की पहाड़ी पर पत्थर को चीरकर मेरी मूर्ति प्रकट हुई है । तुम जाकर पहाड़ी पर मेरी मूर्ति की खोज करो और इस गांव कें भक्तो को मेरी सेवा करने कें लिए कहो । माँ जगदम्बा ने आगे कहाँ बालक मेरे भक्त मूझे एकवीरा , रेणुका , कूलस्वामिनी ,जगदम्ब, आदिशक्ति, माहूरगढ़ देवी, यल्लमा देवी आदि नामो से पुकारते है । मैं ही जगत माता हु , जगकल्याणी हु । इस छावल गांव में प्रकट होने की वजह से मेरे भक्त मूझे छावलवाली रेणुका माता कें नाम से जानेंगे । इस तरह वह सन्त महात्मा , छावल गांव कें लोगों से मिलकर स्वप्न में माता कें बताए आदेश को बता रहें थे कि सन्त महात्मा को देखकर गांव कें लॊगॊ की भीड़ जुट गई । गांव कें कुछ जागरूक लोंगो ने सन्त महात्मा की बातो पर गौर करते हुए मूर्ति की तलाश करने का निर्णय लिया। इस तरह सन्त महात्मा कें साथ गांव कें लोग जंगल की पहाड़ी पर मूर्ति की तलाश करने लगे । मूर्ति की तलाश करते हुए झाड़ियों कें बीच माता रेणुका देवी की स्वयं भू प्रकट हुई मूर्ति मिली  । जो स्वयं पत्थर को चीरकर प्रकट हुई थी । माता की मूर्ति को देख गांव कें लोंगो की खुशी का ठिकाना नहि रहा । सारे गांव कें लोग माँ रेणुका की भक्ति करने लगे । आस पास कें गांव कें को माँ रेणुका कें प्रकट होने की सुचना मिली तो भक्तो की भीड़ स्वयं भू प्रकट हुई माता की मूर्ति देखने कें लिए जुटने लगी । छावल गांव कें माँ रेणुका पर अटूट श्रध्दा आस्था रखने वाले भक्तो ने यहां अश्विन और चैत्र नवरात्रि पर मेले का आयोजन करना आरम्भ किया । दूर दूर से भक्तगण माँ रेणुका देवी कें दर्शन आते और दान पेटी में कुछ दान डालते उसी धनराशि से छावल गांव कें भक्तजनों ने माँ रेणुका देवी का प्यारा सा मन्दिर बनाया । छावल गांव कें भभूत गिरी परिवार कें एक भक्त द्वारा माँ रेणुका देवी कें मन्दिर की देखरेख व माँ रेणुका की सेवा करना आरम्भ किया । इनके स्वर्गवास कें बाद इनके पुत्र लक्ष्मण गिरी ने माँ रेणुका मन्दिर में सेवा दी । लक्ष्मण गिरी भक्त कें देहांत कें बाद उनके पुत्र गणेश गिरी और पूरण गिरी द्वारा वर्तमान में छावल माता की सेवा की जा रही है ।
एक बार की बाद है मोहनगिरी महाराज सोए हुई थे तब उन्हे  रात्री 3 बजे करीब माँ रेणुका देवी का स्वप्न आया । तभी गणेश गिरी जी ने स्नान किया और माँ रेणुका कें दर्शन कें मन्दिर गए । मन्दिर पहुंचते ही माँ की प्रतिमा कें सामने फैले प्रकाश को देखकर भयभीत हो गए , जब माता कें मूरत कें सामने पहुंचे तो माँ रेणुका बाल्य स्वरूप में विराजमान थी उनके सेवा दों बड़े शेषनाग ,सफेद रंग का चूहा , एक बिच्छू उपस्थित थे । यही कारण है की श्रध्दालु अपनी मनोकामना लेकर आते है और माँ से वरदान पाते है ।

 कुछ दिन पूर्व की बात है आमला कें पेट्रोल पम्प पर काम करने वाले एक मजदूर को डाँक्टर ने गले में कैंसर की बीमारी बताई थी ।मजदूर कें पास पैसे न होने की वजह से बहुत दुःखी था और वह मजदूर माँ रेणुका कें दर्शन को छावल आया । मन्दिर कें पुजारी गणेश गिरी महाराज को जब मजदूर ने अपनी पीड़ा बताई  तब गणेश गिरी महाराज ने मजदूर को माँ रेणुका देवी कें अखण्ड ज्योत का तेल और हवन कुण्ड की भभूति निकालकर दे दी । मजदूर गणेश महाराज कें बताए अनुसार अखण्ड ज्योत कें तेल से गले की मालिश की और कुछ ही दिनो मे पहले जैसा सेहत में सुधार आ गया । जब डाँक्टर कें पास जाकर पुनः कैंसर  की जांच की तो कैसर पूरी तरह समाप्त हो गया था । डाँक्टर ने जब मजदूर से पूछा की यह चमत्कार कैसे हुआ तब मजदूर ने कहाँ की यह चमत्कार छावल की माँ रेणुका की कृपा से हुआ है । डाँक्टर कें होश उड़ गए जब उसने माँ की महिमा का चमत्कार स्वयं अपनी आंखो से देखा ।.डाक्टर की मन में भी जिज्ञासा हुई माँ रेणुका दर्शन की और माँ रेणुका दर्शन को छावल जा पहुंचा । शास्त्रों में सच ही कहाँ है आस्था का पग उजालों से भरा हुआ है । आपको धर्म प्रचार प्रसार मंच की यह सत्य घटना पर आधारित कहानी कैसे लगी अवश्य बताए ।

इसी कहानी कों दिल्ली की राशि खन्ना जी की मधुर आवाज में रिकॉर्ड किया हैं जो बहुत जल्द आप सभी के बीच Ambadevi Films युटुब चैनल के माध्यम से आने वाली हैं ।
















धर्म प्रचार प्रसार मंच का माँ रेणुका छावल मन्दिर कीर्ति जन जन पहुचाने का अभियान आरम्भ हो चुका हैं .
..जय जगदम्बा





संकलनकर्ता (कहानीकार ) महाकाल भक्त रविन्द्र मानकर 

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