सच्चे गुरु की पहचान
सभी प्रकार की विद्या प्राप्ति मे गुरू की कृपा पाना आवश्यक है , क्योकि गुरू हि हमे किसी विद्या की क्रमबद्ध व सटीक जानकारी दे सकता है । इसी जानकारी के बल पर जीवन मे सफलता का मार्ग तय कर अपनी मंजिल पर पहुंचा जा सकता है । गुरू की सहायता के बिना किसी भी साधना या कार्य मे सफलता पाना कठिन है । पुराणो मे गुरू के महत्व कों देवताओ से भी अधिक माना गया है ।
गुरु के प्रति शिष्य का भाव सही होना जरूरी है , वैसे ही गुरु का भी शिष्य प्रति भाव होना मान्य रखता है । आज कल तो कुछ ऐसे गुरू और बाबा है जो के बोलते है 5100 अकाउंट मे डाल दो मैं आपको ऑनलाइन दीक्षा दे दूंगा पर यह सब कुछ गलत है । वास्तविकता मे गुरु वो है जो आपके अकेले मैं बिठा कर ज्ञान देता है जैसे के गुरु का गुरु मंत्र गुरु पूर्णिमा को गुरु के द्वारा शिष्य के कान मैं फूंका जाता है । ऐसे नहीं है गुरु मंत्र आप कोई भी करलो जब तब गुरु मंत्र कान मे नहीं देता है । तब तक आप उनके शिष्य नहीं हो सकते हो क्युकी गुरु तभी मान जाता है जब वो अपने प्राण शक्ति से आपको वो शक्ति देता है । ऐसे चलते फिर गुरु से सोशल मीडिया और गूगल भरा पढ़ा है इंटरनेट वाली विद्या और गुरु जी की विद्या दोनों अलग -२ है । हमारे गुरुमुखी मंत्र , इंटरनेट और किताब से मैच नहीं होते है और गुरु का आदेश भी यही होता है के आपको गुप्त रहना है और किसी को भी कुछ नहीं बताना है जब तक आप तंत्र मंत्र के क्षेत्र
मे पूरी तरह सम्पूर्ण नहीं हो जाते हो ! बाकि यह सब मेरा खुद का अनुभव और अध्यन है ! क्युकी मैं किताबी ज्ञान किसी को नहीं देता हूँ न ही किसी को किसी भी प्रकार के भरम मैं रखना चाहता हूँ । क्युकी आज मैं सच बोलूगा तो शायद किसी भाई बहन को मेरी बात समझ आ जाये ! मेरा काम मंत्र शक्ति और साधना की सही जानकारी देना है । आप सभी दे गुजारिश है आप सभी इंटरनेट वाली कोई भी क्रिया ऐसे मत करना क्युकी तंत्र मंत्र मैं सकारात्मक और नकरात्मक विकार दोनों साथ मैं चलते है । गुरु कृपा के बाद ही आप इन सब से बच पाओगे इसलिए गुरु धारण करना जरूरी है । अगर आपके गुरु नहीं गुरु तो काम से काम गुरु को इंटरनेट पर मत ढूँढो , मत उड़ाओ पैसे ऐसे ऑनलाइन कुछ नहीं होता है ! असली दीक्षा और गुरु का ज्ञान गुरु के पास मे रह कर ही प्राप्त होता है । जय मां अम्बादेवी ...मैं माता अम्बादेवी का सीधा साधा और भोला भक्त रविन्द्र मानकर ! बस मेरा काम आप सब को सही मार्गदर्शन करना है , मैं किसी को भ्रमित नहीं करना चाहता हूँ ।
मैंने स्कन्दपुराण , ब्रम्हपुराण , दुर्गा सप्तशती चण्डी , ताप्ती पुराण पढ़ी है , पढ़ा लिखा हूँ , मैंने ज्योतिष पंडितों के कर्मकांड और क्रिया का परिणाम देखा है । कुंडली पंचाग , राशि देख किसी का भविष्य बताना आसान है लेकिन वही दैविक क्रिया कर उसे जीवनदान देना बहूत मुश्किल है ।
सच्चा गुरू अपनी क्रिया कों करता है उसे पूर्ण होने की समय तिथि पर की आत्मविश्वास के साथ भविष्यवाणी करता है ।
हमारे पास जो न क्रिया दी जायगी वो सारी सारी अनुभव की हुई है इसका हमारे पास प्रमाण और साक्ष्य भी है ।
मैंने जो गुरुजी किसन महाराज की साधना मे देखा और क्रिया के सामने परिणाम आये ,उनके अनुभव के आधार पर यहाँ पर सब कुछ दे रहा हूँ मैं !
आप गुरू किसी कों बनाना चाहते हो तो इन बातो का विशेष ध्यान रखे
1. गुरू के ऊपर कोई कलंक ना लगा हो ।
2. गुरू किसी धर्म या सम्प्रदाय का विरोधी ना हो ।
3. गुरू किसी अंग से विकलांग नहि होना चाहिए ।
4. गुरू मे आचरण दोष नहि होना चाहिए ।
5. गुरू मे लालच और अभिमान नहि होना चाहिए ।
सभी प्रकार की विद्या प्राप्ति मे गुरू की कृपा पाना आवश्यक है , क्योकि गुरू हि हमे किसी विद्या की क्रमबद्ध व सटीक जानकारी दे सकता है । इसी जानकारी के बल पर जीवन मे सफलता का मार्ग तय कर अपनी मंजिल पर पहुंचा जा सकता है । गुरू की सहायता के बिना किसी भी साधना या कार्य मे सफलता पाना कठिन है । पुराणो मे गुरू के महत्व कों देवताओ से भी अधिक माना गया है ।
गुरु के प्रति शिष्य का भाव सही होना जरूरी है , वैसे ही गुरु का भी शिष्य प्रति भाव होना मान्य रखता है । आज कल तो कुछ ऐसे गुरू और बाबा है जो के बोलते है 5100 अकाउंट मे डाल दो मैं आपको ऑनलाइन दीक्षा दे दूंगा पर यह सब कुछ गलत है । वास्तविकता मे गुरु वो है जो आपके अकेले मैं बिठा कर ज्ञान देता है जैसे के गुरु का गुरु मंत्र गुरु पूर्णिमा को गुरु के द्वारा शिष्य के कान मैं फूंका जाता है । ऐसे नहीं है गुरु मंत्र आप कोई भी करलो जब तब गुरु मंत्र कान मे नहीं देता है । तब तक आप उनके शिष्य नहीं हो सकते हो क्युकी गुरु तभी मान जाता है जब वो अपने प्राण शक्ति से आपको वो शक्ति देता है । ऐसे चलते फिर गुरु से सोशल मीडिया और गूगल भरा पढ़ा है इंटरनेट वाली विद्या और गुरु जी की विद्या दोनों अलग -२ है । हमारे गुरुमुखी मंत्र , इंटरनेट और किताब से मैच नहीं होते है और गुरु का आदेश भी यही होता है के आपको गुप्त रहना है और किसी को भी कुछ नहीं बताना है जब तक आप तंत्र मंत्र के क्षेत्र
मे पूरी तरह सम्पूर्ण नहीं हो जाते हो ! बाकि यह सब मेरा खुद का अनुभव और अध्यन है ! क्युकी मैं किताबी ज्ञान किसी को नहीं देता हूँ न ही किसी को किसी भी प्रकार के भरम मैं रखना चाहता हूँ । क्युकी आज मैं सच बोलूगा तो शायद किसी भाई बहन को मेरी बात समझ आ जाये ! मेरा काम मंत्र शक्ति और साधना की सही जानकारी देना है । आप सभी दे गुजारिश है आप सभी इंटरनेट वाली कोई भी क्रिया ऐसे मत करना क्युकी तंत्र मंत्र मैं सकारात्मक और नकरात्मक विकार दोनों साथ मैं चलते है । गुरु कृपा के बाद ही आप इन सब से बच पाओगे इसलिए गुरु धारण करना जरूरी है । अगर आपके गुरु नहीं गुरु तो काम से काम गुरु को इंटरनेट पर मत ढूँढो , मत उड़ाओ पैसे ऐसे ऑनलाइन कुछ नहीं होता है ! असली दीक्षा और गुरु का ज्ञान गुरु के पास मे रह कर ही प्राप्त होता है । जय मां अम्बादेवी ...मैं माता अम्बादेवी का सीधा साधा और भोला भक्त रविन्द्र मानकर ! बस मेरा काम आप सब को सही मार्गदर्शन करना है , मैं किसी को भ्रमित नहीं करना चाहता हूँ ।
मैंने स्कन्दपुराण , ब्रम्हपुराण , दुर्गा सप्तशती चण्डी , ताप्ती पुराण पढ़ी है , पढ़ा लिखा हूँ , मैंने ज्योतिष पंडितों के कर्मकांड और क्रिया का परिणाम देखा है । कुंडली पंचाग , राशि देख किसी का भविष्य बताना आसान है लेकिन वही दैविक क्रिया कर उसे जीवनदान देना बहूत मुश्किल है ।
सच्चा गुरू अपनी क्रिया कों करता है उसे पूर्ण होने की समय तिथि पर की आत्मविश्वास के साथ भविष्यवाणी करता है ।
हमारे पास जो न क्रिया दी जायगी वो सारी सारी अनुभव की हुई है इसका हमारे पास प्रमाण और साक्ष्य भी है ।
मैंने जो गुरुजी किसन महाराज की साधना मे देखा और क्रिया के सामने परिणाम आये ,उनके अनुभव के आधार पर यहाँ पर सब कुछ दे रहा हूँ मैं !
आप गुरू किसी कों बनाना चाहते हो तो इन बातो का विशेष ध्यान रखे
1. गुरू के ऊपर कोई कलंक ना लगा हो ।
2. गुरू किसी धर्म या सम्प्रदाय का विरोधी ना हो ।
3. गुरू किसी अंग से विकलांग नहि होना चाहिए ।
4. गुरू मे आचरण दोष नहि होना चाहिए ।
5. गुरू मे लालच और अभिमान नहि होना चाहिए ।
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