भगवती ताप्ती देवी इक्कीस कल्प नाम
पुराणो मे उल्लेख हैं
गंगा स्नान , नर्मदा दर्शन
यमुना पाने और ताप्ती स्मरने
जो मनुष्य माँ सूर्यपुत्री ताप्ती जी के इक्कीस कल्प नामों का सदा स्मरण करता है , वह मनुष्य चाहे अग्नि में जल रहा हो, चाहे रणभूमि में शत्रुओं से घिर गया हो, विषम
संकट में फँस गया हो तथा इस प्रकार के भय से आतुर होकर जो भगवती ताप्ती की शरण में प्राप्त हॊता है , उनका कभी कोई अमङ्गल नहीं होता। युद्ध के समय संकट
में पड़ने पर भी उनके ऊपर कोई विपत्ति नहीं दिखाई देती। उनको शोक, दु:ख और भय की प्राप्ति नहीं होती ।।
देवी ताप्ती जी के इक्कीस कल्प नाम देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। जो प्रतिदिन नियमपूर्वक तीनों संध्याओं के समय श्रद्धा के साथ इसका पाठ करता है, उसे दैवी ताप्ती की कृपा प्राप्त होती है तथा वह तीनों लोकों में कहीं भी पराजित नहीं होता। इतना ही नहीं, वह अपमृत्यु रहित होकर , सौ से भी अधिक वर्षों तक जीवित रहता है ।।
मकरी, चेचक और कोढ़ आदि उसकी सम्पूर्ण व्याधियाँ नष्ट हो जाती हैं। कनेर, भाँग, अफीम, धतूरे आदि का स्थावर विष, साँप और बिच्छू आदि के काटने से चढ़ा हुआ जङ्गम विष तथा अहिफेन और तेल के संयोग आदि से बनने वाला कृत्रिम विष – ये सभी प्रकार के विष दूर हो जाते हैं, उनका कोई असर नहीं होता
माँ भगवती ताप्ती के इन नामों का स्मरण करने से हजारो जन्मो के पाप भस्म हो जाते है ।
इक्कीस कल्प नाम का उल्लेख ताप्ती पुराण ने इस प्रकार हैं ..
1) पद्य कल्प मॆ - सत्या
2पौषकर कल्प मॆ -सत्योंभ्वा
3)शौर कल्प मॆ -श्यामा
4)शांभव कल्प मॆ - कपिला
5)चान्द्र कल्प मॆ -कपिलाम्बीका
6)काश्यप कल्प मॆ -तापीनी
7)उपेंन्द्र कल्प मॆ -तपनोभदवा
8)ऐन्द्र कल्प मॆ -ना सत्या
9)वारुण कल्प मॆ -नसिकोभ्दवा
10)महाबल कल्प मॆ -सावित्री
11)महेशान कल्प मॆ -सहस्त्रकारा
12)नकलाक्ष कल्प मॆ -सकना
13)कुणालक कल्प मॆ -अमृतवाहिनी
14)श्रीकृत कल्प मॆ -सुषुम्ना
15)मात्स्यकैला कल्प मॆ -सूक्ष्मरमना
16)कालाख्य कल्प मॆ -सर्पा
17)कर्माख्य कल्प मॆ -तीग्मा
18)वाराह -तिग्मर्या
19)आदिवाराह कल्प मॆ - तारा
20)कृष्णवाराह कल्प मॆ -ताग्रा
21)श्वेतवाराह कल्प मॆ -ताप्ती
जो सच्चे मन से माँ ताप्ती के इक्कीस कल्प नामो का सुमिरन करता है वह शनि देव की कु दृष्टि से मुक्त हो जाता है । तीनो लोको के तापों को हरने वाली भगवती माँ ताप्ती की कृपा से उस भक्त के दुखो का अंत हो जाता है ।
बोलो ताप्ती मईया की जय ..बोलो शनिदेव महाराज की जय
बोलो सूर्यनारायण भगवान की जय ..बोलो छाया माता की जय
पुराणो मे उल्लेख हैं
गंगा स्नान , नर्मदा दर्शन
यमुना पाने और ताप्ती स्मरने
जो मनुष्य माँ सूर्यपुत्री ताप्ती जी के इक्कीस कल्प नामों का सदा स्मरण करता है , वह मनुष्य चाहे अग्नि में जल रहा हो, चाहे रणभूमि में शत्रुओं से घिर गया हो, विषम
संकट में फँस गया हो तथा इस प्रकार के भय से आतुर होकर जो भगवती ताप्ती की शरण में प्राप्त हॊता है , उनका कभी कोई अमङ्गल नहीं होता। युद्ध के समय संकट
में पड़ने पर भी उनके ऊपर कोई विपत्ति नहीं दिखाई देती। उनको शोक, दु:ख और भय की प्राप्ति नहीं होती ।।
देवी ताप्ती जी के इक्कीस कल्प नाम देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। जो प्रतिदिन नियमपूर्वक तीनों संध्याओं के समय श्रद्धा के साथ इसका पाठ करता है, उसे दैवी ताप्ती की कृपा प्राप्त होती है तथा वह तीनों लोकों में कहीं भी पराजित नहीं होता। इतना ही नहीं, वह अपमृत्यु रहित होकर , सौ से भी अधिक वर्षों तक जीवित रहता है ।।
मकरी, चेचक और कोढ़ आदि उसकी सम्पूर्ण व्याधियाँ नष्ट हो जाती हैं। कनेर, भाँग, अफीम, धतूरे आदि का स्थावर विष, साँप और बिच्छू आदि के काटने से चढ़ा हुआ जङ्गम विष तथा अहिफेन और तेल के संयोग आदि से बनने वाला कृत्रिम विष – ये सभी प्रकार के विष दूर हो जाते हैं, उनका कोई असर नहीं होता
माँ भगवती ताप्ती के इन नामों का स्मरण करने से हजारो जन्मो के पाप भस्म हो जाते है ।
इक्कीस कल्प नाम का उल्लेख ताप्ती पुराण ने इस प्रकार हैं ..
1) पद्य कल्प मॆ - सत्या
2पौषकर कल्प मॆ -सत्योंभ्वा
3)शौर कल्प मॆ -श्यामा
4)शांभव कल्प मॆ - कपिला
5)चान्द्र कल्प मॆ -कपिलाम्बीका
6)काश्यप कल्प मॆ -तापीनी
7)उपेंन्द्र कल्प मॆ -तपनोभदवा
8)ऐन्द्र कल्प मॆ -ना सत्या
9)वारुण कल्प मॆ -नसिकोभ्दवा
10)महाबल कल्प मॆ -सावित्री
11)महेशान कल्प मॆ -सहस्त्रकारा
12)नकलाक्ष कल्प मॆ -सकना
13)कुणालक कल्प मॆ -अमृतवाहिनी
14)श्रीकृत कल्प मॆ -सुषुम्ना
15)मात्स्यकैला कल्प मॆ -सूक्ष्मरमना
16)कालाख्य कल्प मॆ -सर्पा
17)कर्माख्य कल्प मॆ -तीग्मा
18)वाराह -तिग्मर्या
19)आदिवाराह कल्प मॆ - तारा
20)कृष्णवाराह कल्प मॆ -ताग्रा
21)श्वेतवाराह कल्प मॆ -ताप्ती
जो सच्चे मन से माँ ताप्ती के इक्कीस कल्प नामो का सुमिरन करता है वह शनि देव की कु दृष्टि से मुक्त हो जाता है । तीनो लोको के तापों को हरने वाली भगवती माँ ताप्ती की कृपा से उस भक्त के दुखो का अंत हो जाता है ।
बोलो ताप्ती मईया की जय ..बोलो शनिदेव महाराज की जय
बोलो सूर्यनारायण भगवान की जय ..बोलो छाया माता की जय
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