शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

माँ पूर्णा जी की आरती


जय पूर्णा माई ओम जय माँ पूर्णा माई
गय राजा की नगरिया काशीतल आई  ॥

माँ प्रकृत भई जग तारण जन सुख हित आई ।
माँ सबके कष्ट निवारे , तु पूर्णा माई ॥ ओम

कलिमल हारी माता , जल तेरा सुख दाई ।
दिन जनों की आशा , पूर्ण करें माई । ओम

अदभुत छटा तुम्हारी , सबके मन को हर्षाती ।
सबके सुखमय करती , माँ बहती जाती ॥ ओम

पूजा अर्चन कर तु तर्पण , माँ पावन कारी ।
चंद्र सुता तु ही माता , दर्शन शुभकारी ॥ ओम

पाप धुले जल तेरे , हर पूरन मासी
माँ तेरा जल है गंगा , जल तेरा काशी ॥ ओम

मांगू तुझसे हाथ जोड़ , गोद हरी कर दे
मेरी झोली ए खाली माता तु भर दे ॥ ओम जय

दुखिया रे हम तेरे दर , आज गुहार करें ।
माँ हम सब दिनन की , विपदा दूर करें ॥ ओम जय

तु दयामयी करुणामयी , हम सब की माई ।
दीनहीन तेरे बालक , चरणन सिर नाई ॥ ओम जय

तु अन्नपूर्णा गायत्री , तु सीता माता ।
पाप मुक्त हो जाता जो तेरे शरण पाता ।

सुन माँ विनय हमारी , श्रध्दा सुमन लाए
हाथ जोड़ सच्चे मन से आरती हम गाए ॥ ओम जय

माँ जग को आनंद लुटाती , निर्भल जल धारा ।
माँ तेरे ही गुण गाथा , माता जग सारा ॥ ओम जय

मात पूर्णा हर हर , दुःख हर दारिद्र हर ।
लोभ पाप हर हर , मात पूर्णा हर हर ॥ ॐ
जय पूर्णा माता ,  ओम जय पूर्णा माता


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