जय पूर्णा माई ओम जय माँ पूर्णा माई
गय राजा की नगरिया काशीतल आई ॥
माँ प्रकृत भई जग तारण जन सुख हित आई ।
माँ सबके कष्ट निवारे , तु पूर्णा माई ॥ ओम
कलिमल हारी माता , जल तेरा सुख दाई ।
दिन जनों की आशा , पूर्ण करें माई । ओम
अदभुत छटा तुम्हारी , सबके मन को हर्षाती ।
सबके सुखमय करती , माँ बहती जाती ॥ ओम
पूजा अर्चन कर तु तर्पण , माँ पावन कारी ।
चंद्र सुता तु ही माता , दर्शन शुभकारी ॥ ओम
पाप धुले जल तेरे , हर पूरन मासी
माँ तेरा जल है गंगा , जल तेरा काशी ॥ ओम
मांगू तुझसे हाथ जोड़ , गोद हरी कर दे
मेरी झोली ए खाली माता तु भर दे ॥ ओम जय
दुखिया रे हम तेरे दर , आज गुहार करें ।
माँ हम सब दिनन की , विपदा दूर करें ॥ ओम जय
तु दयामयी करुणामयी , हम सब की माई ।
दीनहीन तेरे बालक , चरणन सिर नाई ॥ ओम जय
तु अन्नपूर्णा गायत्री , तु सीता माता ।
पाप मुक्त हो जाता जो तेरे शरण पाता ।
सुन माँ विनय हमारी , श्रध्दा सुमन लाए
हाथ जोड़ सच्चे मन से आरती हम गाए ॥ ओम जय
माँ जग को आनंद लुटाती , निर्भल जल धारा ।
माँ तेरे ही गुण गाथा , माता जग सारा ॥ ओम जय
मात पूर्णा हर हर , दुःख हर दारिद्र हर ।
लोभ पाप हर हर , मात पूर्णा हर हर ॥ ॐ
जय पूर्णा माता , ओम जय पूर्णा माता
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