*🙏🕉जय माँ बगलामुखी🕉🙏*
आपका विश्वास जब ना दे साथ , जब शत्रु भय से जीवन हो जाये बेहाल , जब बचाव के सारे रास्ते बन्द हो जाये ,
जब कानूनी मामलो मे फंसकर रह जाये , तब एक देवी की कृपा से आप अपना जीवन सफल बना सकते है। पुरे ब्रम्हान्ड मे शक्तिशाली है वो देवी ,
सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती ।
आज के दौर मे चाहे या ना चाहे कोई ना कोई किसी ना किसी की बुरी नजर का शिकार हो ही जाता है । चाहे आप नौकरी करते हो या बिजनेस करते हो आपकी कामयाबी के कारण आपके गुप्त शत्रु बन ही जाते है ।
जीवन मे कई बार समस्याओ का सामना करना पड़ता है । कई बार कानूनी चक्करों मे इंसान ऐसा उलझकर रह जाता है की उससे निकालना मानो ना मुमकिन सा हो जाता है ।
आपकी हर परेशानी का ईलाज है माँ बगलामुखी की उपासना । कहते है शत्रुओं और विरोधियो को शान्त करने व कानूनी मामलो से छुटकारा पाने के लिए माँ बगलामुखी की उपासना अचूक होती है । तो कैसे करें माँ बगलामुखी की उपासना, बताने से पहले जानते है माँ बगलामुखी की महिमा क्या है ,कौन है ब्रम्हांड की महाशक्ति बगलामुखी माँ
ज्योतिषाचार्या देवी ज्ञानेश्वरी गोस्वामी माँ भगवती बगलामुखी देवी जी की अपार कृपा एवं मैया जी की प्रेरणा से प्रेरित होकर श्री ब्रह्मास्त्र विद्या माँँ बगलामुखी देवी जी की उत्पत्ति का वर्णन करते हुए बताती है की , एक समय सतयुग काल में भयंकर तूफान आने से संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच गया और अनेकों लोक संकट में पड़ गए जिससे संसार की रक्षा करना असम्भव हो गया , उस समय संपूर्ण जीव,मनुष्य ,देवजन,भगवान विष्णु सहित अत्यंत चिंतित हुए तथा भगवान शिव की प्रेरणा व कृपा से भगवान विष्णु महान तपस्या करने लगे उस तपस्या के प्रभाव से महात्रिपुर सुन्दरी देवी अत्यंत संतुष्ट हुई।
*हरिद्रा* नाम के सरोवर को देखकर सौराष्ट्र कठियावाड़ में देवी अत्यंत गहरे उस सरोवर में जल क्रीड़ा करने के लिए जिस समय प्रवृत्त हुईं l
उस समय श्री विद्या से तेज उत्पन्न अपूर्व के चारों ओर फैल गया उसी समय आकाश में तारा मंडल अत्यंत सुशोभित था उस दिन चतुर्दशी और मंगलवार था एवं पंच मकार से सेवित देवी ने उस दिन अर्धरात्रि में उस गहरे पीले हरिद्रा सरोवर में निवास किया और उस रात्रि का नाम वीर रात्रि पड़ा तभी से चतुर्दशी मंगलवार के दिन तांत्रिक गण पंच मकार का सेवन करते हैं श्रीविद्या जनित तेज से दूसरी त्रैलोक्य स्तंभनी ब्रह्मास्त्र विद्या उत्पन्न हुई उस ब्रह्मास्त्र का तेज विष्णु से उत्पन्न तेज में विलीन हो गया और वह तेज विद्या और अनुविद्या में लीन हुआ । माँ बगलामुखी को पीताम्बरा भी कहाँ जाता है । देवी के दश महाविद्या स्वरूपो मे आठवां स्वरूप माँ बगलामुखी देवी का है । माँ बगलामुखी देवी को स्तम्भन शक्ति की देवी भी कहाँ जाता है ।
माँ बगलामुखी की उपासना मे सबसे महत्वपूर्ण है की माँ की उपासना रात्री के समय 9से 12 के बीच पीले वस्त्र पहनकर ही करना चाहिए । माँ की उपासना के लिए एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाए ,फिर सामने अखण्ड दीपक जलाए , उन्हे पीले फूल और नेवेद्य अर्पित करें ।
सबसे पहले इनके भैरव मृत्युंजय रूप की उपासना करें ।
इसलिए साधना के पूर्व महामृत्युंजय मंत्र की एक माला जप अवश्य करना चाहिए। साधना उत्तर की ओर मुंह करके करनी चाहिए। फिर बगलामुखी कवच का पाठ करें । इसके बाद संकल्प के साथ माँ के मंत्र का जाप करें ।
माँ का मंत्र
ॐ ह्लीं बगलामुखी देवी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वाम कीलय बुद्धि विनाशाय ह्लीं ॐ फट् स्वाहा l
मंत्र का कम से कम 36 हजार या एक लाख जाप करें ।
इसके बाद दशांक हवन करें । माँ बगलामुखी तंत्र की देवी है । इनमे ब्रम्हान्ड की शक्ति का समावेश है । माँ बगलामुखी की पुजा हर बाँधा से मुक्ति दिलाती है । इसलिए माँ की भक्ति करने वाले साधक के जीवन मे खुशियो ही खुशियों का आगमन होता है ।
लेकिन माँ बगलामुखी उपासना के नियम जानना बहुत ही अनिवार्य है जो इस प्रकार है ..
1 माँ बगलामुखी की उपासना बिना गुरू के निर्देश की कदापि नही करना चाहिए ।
2 आराधना खुले आसमान के नीचे नही करनी चाहिए ।
3 आराधना के समय ब्रम्हचर्य का पालन बहुत जरूरी है ।
4 देवी पूजा किसी के विनाश के लिए नही करनी चाहिए
इन सभी नियमों का पालन आपको करना बहुत जरूरी है ।
और दक्षिणा लेकर संकल्प लें ।
आप माँ बगलामुखी अनुष्ठान द्वारा सम्पूर्ण समस्याओ का समाधान कर सकते है , अगर आपको कोई माँ बगलामुखी का अनुष्ठान करना है तो आप हमें अवश्य बताए ।
आपको माँ बगलामुखी माँ की उपासना के बारे मे किसी प्रकार की जानकारी चाहिए या आपको माँ बगलामुखी साधिका देवी ज्ञानेश्वरी गोस्वामीजी से किसी प्रकार की जानकारी चाहिए तो वीडियो पर कॉमेंट्स कर अपनी बात रखे ।
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