रविवार, 22 दिसंबर 2019

सच्चे गुरु की पहचान कैसे करे

सच्चे गुरु की पहचान
सभी प्रकार की विद्या प्राप्ति मे गुरू की कृपा पाना आवश्यक है , क्योकि गुरू हि हमे किसी विद्या की क्रमबद्ध व सटीक जानकारी दे सकता है । इसी जानकारी के बल पर जीवन मे सफलता का मार्ग तय कर अपनी मंजिल पर पहुंचा जा सकता है । गुरू की सहायता के बिना किसी भी साधना या कार्य मे सफलता पाना कठिन है । पुराणो मे गुरू के महत्व कों देवताओ से भी अधिक माना गया है ।
गुरु के प्रति शिष्य का भाव सही होना जरूरी है , वैसे ही गुरु का भी शिष्य प्रति भाव होना मान्य रखता है । आज कल तो कुछ ऐसे गुरू और बाबा है जो के बोलते है 5100 अकाउंट मे डाल दो मैं आपको ऑनलाइन दीक्षा दे दूंगा पर यह सब कुछ गलत है । वास्तविकता मे गुरु वो है जो आपके अकेले मैं बिठा कर ज्ञान देता है जैसे के गुरु का गुरु मंत्र गुरु पूर्णिमा को गुरु के द्वारा शिष्य के कान मैं फूंका जाता है । ऐसे नहीं है गुरु मंत्र आप कोई भी करलो जब तब गुरु मंत्र कान मे नहीं देता है । तब तक आप उनके शिष्य नहीं हो सकते हो क्युकी गुरु तभी मान जाता है जब वो अपने प्राण शक्ति से आपको वो शक्ति देता है ।  ऐसे चलते फिर गुरु से सोशल मीडिया और गूगल भरा पढ़ा है इंटरनेट वाली विद्या और गुरु जी की विद्या दोनों अलग -२ है ।  हमारे गुरुमुखी मंत्र , इंटरनेट और किताब से मैच नहीं होते है और गुरु का आदेश भी यही होता है के आपको गुप्त रहना है और किसी को भी कुछ नहीं बताना है जब तक आप तंत्र मंत्र के क्षेत्र
 मे पूरी तरह सम्पूर्ण नहीं हो जाते हो ! बाकि यह सब मेरा खुद का अनुभव और अध्यन है ! क्युकी मैं किताबी ज्ञान किसी को नहीं देता हूँ न ही किसी को किसी भी प्रकार के भरम मैं रखना चाहता हूँ । क्युकी आज मैं सच बोलूगा तो शायद किसी भाई बहन को मेरी बात समझ आ जाये ! मेरा काम मंत्र शक्ति और साधना की सही जानकारी देना है । आप सभी दे गुजारिश है आप सभी इंटरनेट वाली कोई भी क्रिया ऐसे मत करना क्युकी तंत्र मंत्र मैं सकारात्मक और नकरात्मक विकार दोनों साथ मैं चलते है । गुरु कृपा के बाद ही आप इन सब से बच पाओगे इसलिए गुरु धारण करना जरूरी है । अगर आपके गुरु नहीं गुरु तो काम से काम गुरु को इंटरनेट पर मत ढूँढो , मत उड़ाओ पैसे ऐसे ऑनलाइन कुछ नहीं होता है ! असली दीक्षा और गुरु का ज्ञान गुरु के पास मे रह कर ही प्राप्त होता है । जय मां अम्बादेवी ...मैं  माता अम्बादेवी  का सीधा साधा और भोला भक्त रविन्द्र मानकर   ! बस मेरा काम आप सब को सही मार्गदर्शन करना है , मैं किसी को भ्रमित नहीं करना चाहता हूँ ।
मैंने स्कन्दपुराण , ब्रम्हपुराण , दुर्गा सप्तशती चण्डी , ताप्ती पुराण पढ़ी है , पढ़ा लिखा हूँ , मैंने ज्योतिष पंडितों के कर्मकांड और क्रिया का परिणाम देखा है । कुंडली पंचाग , राशि देख किसी का भविष्य बताना आसान है लेकिन वही दैविक क्रिया कर उसे जीवनदान देना बहूत मुश्किल है ।
सच्चा गुरू अपनी क्रिया कों करता है उसे पूर्ण होने की समय तिथि पर की आत्मविश्वास के साथ भविष्यवाणी करता है ।

हमारे पास जो न क्रिया दी जायगी वो सारी सारी अनुभव की हुई है इसका हमारे पास प्रमाण और साक्ष्य भी है ।

 मैंने जो गुरुजी किसन महाराज की साधना  मे देखा और क्रिया के सामने परिणाम आये ,उनके अनुभव के आधार पर यहाँ पर सब कुछ दे रहा हूँ मैं !
आप गुरू किसी कों बनाना चाहते हो तो इन बातो का विशेष ध्यान रखे

1. गुरू के ऊपर कोई कलंक ना लगा हो ।
2.  गुरू किसी धर्म या सम्प्रदाय का विरोधी ना हो ।
3. गुरू किसी अंग से विकलांग नहि होना चाहिए ।
4. गुरू मे आचरण दोष नहि होना चाहिए ।
5. गुरू मे लालच और अभिमान नहि होना चाहिए ।


बुधवार, 4 दिसंबर 2019

हे राम क्या आपको माता रेणुका का दर्द दिखाई नही दिया?



हे राम क्या आपको माता रेणुका का दर्द दिखाई नही दिया?

बचपन से हि रेणुका नंदन राम सहस्त्रअर्जुन पापी राजा के अत्याचारों से दुःखी थें इसलिए बाल्य अवस्था से हि वे संकल्प कर चूके थें की उन्हे सहस्त्रअर्जुन पापी की मृत्यु करके अपने माता -पिता कों सुख देना चाहते थें इसलिए वो शिव शंकर जी के पास कैलाश जाना चाहते थें ताकि शिव जी से 10 वर्ष तक ऐसी विद्या सीखना चाहते थें , जिससे सहस्त्राअर्जुन का अंत हो सकें ,क्योकि पापी राजा ने कई बार उनके पिता जमदग्नि का आश्रम जलाया और कई बार कष्ट दिये वही सारा ऋषि समाज सहस्त्रअर्जुन के अत्याचारों से दुःखी था ।

जब राम ने अपनी माता रेणुका देवी से कहाँ की माता मैं आज भी आपको कोई सुखद समाचार नहि देने आया हूँ
मैं आपसे दूर जा रहा हूँ 10 वर्ष के लिए ।

माता रेणुका ने पूछा - कहाँ जा रहें हो पुत्र !
राम बोले - माता मैंने शिव शंकर के पास कैलाश जाने का निर्णय लिया है , उनके साथ रहकर 10 वर्ष तक शस्त्र विद्या सीखूँगा आपकी अनुमति लेनें आया हूँ ।

माता रेणुका बोलि - निर्णय ले हि लिया है तो अनुमति की कोई आवश्यकता नहि रह जाती पुत्र , अपने जीवन के बारे में निर्णय लेनें की अनुमति तो तुमने मुझसे मांगी नहि ।

राम बोले - आप तो जानती हो माता की परिस्थितियो ने मूझे ये निर्णय लेनें कों विवश कर दिया ।

माता रेणुका बोली - ऐसा लगता है पुत्र राम की इस संसार में मां और ममता हि विवश नहि है बाकी हर कोई किसी न किसी कारण विवश है ।

               
हे राम , आपने कितनी सहजता से, कह दिया कि "मैं विवश हूँ माता , मेरे संकल्प ने , मेरे लक्ष्य ने मूझे आपसे दूर रहने कों मजबूर कर दिया है ...!"
मैं आपका ऋण नहि चुका पा रहा हूँ , आपको सुख नहि दे पा रहा हूँ जो पुत्र का धर्म है ।
माता रेणुका का दिल दुखाने वाली, उनकी ममता पर लांछन लगाने वाली बात, आप इतनी सहजता से कैसे कह पाएं प्रभु ? क्या आपको एक बार भी मन में विचार नही आया कि मेरी इस बात से माता रेणुका का दिल कितनी बुरी तरह से टूट जाएगा?

जिस रेणुका माता के ममत्व का आज भी गुणगान होता है,
जिस माता रेणुका ने आपके पालन-पोषण में कोई कसर नही छोड़ी, जिसके ममत्व पर आप स्वयं भी शक नही कर सकते, उस माता पर इतना बड़ा कष्ट जो अपने राम का मुख देखने के लिए कई दिनो तक आश्रम के द्वार पर आस लगाए बैठी रहती है कोई दिन तो उनका लल्ला आयेंगा लेकिन उसका राम कई दिनो बाद कुछ पल के लिए आया और फिर जा रहा है ।
जो स्वयं आदिशक्ति है जगदम्बा है उसी माता के नयना आपको देखने के लिए तरस जाते है , प्रभु, आप तो सर्वज्ञ हो, त्रिकालदर्शी हो फिर आप सिर्फ अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए ऐसा कैसे कर सकते है ? आप कोई और बहाना कर लेते या खुद की हार कबूल कर लेते लेकिन माता की खुशी के लिए कुछ पल मां रेणुका के पास रूक जाते । तुम क्या जानो राम माँ की ममता क्या होती है
आपने माता रेणुका की नींद उड़ा रखी है , माता रेणुका ना आपके बिना भोजन करती है ना पानी पीती है उसकी जान तो आप में बसी है , कई राते माता रेणुका इसी उम्मीद में रात भर जागती रही की आप आवोगे है लेकिन आप नहि आए ।
  क्या आपके लिए, आपका उदेश्य माता के ममत्व से ज्यादा मायने रखता  है ? ऐसा क्यों किया राम आपने ?

क्या आपको पता है राम जब आप कुरुकुल से कुछ पल के लिए ओझल हो जाते थें तो माता कितनी चिंतित होकर आप यहां वहां खोजती रहती ,बड़ी मुश्किल के बाद आप कुरुकूल के खण्डरो की ओर शस्त्र सीखते नजर आते तब जाकर रेणुका मां कों सुकून मिलता था ।

क्या भुल गए राम रेणुका मां की ममता कों क्या आपको वो दिन याद नहि जब आपको माता के सोते हि उड़कर शस्त्र सिखने निकल जाते थें और माता उतनी हि रात्री आपकी तलाश करते हुए आपके पास आती थी ।

क्या मां रेणुका की ममता और स्नेह के लिए आपकों थोड़ा वक्त नहि निकालना चाहिए था ,ठीक ढंग से रेणुका माता कों आपके दर्शन तो करने देते श्री राम । राम आप रेणुका मां के लिए कितने अनमोल हो यह तो एक मां हि जान सकतीं है ।

मंगलवार, 19 नवंबर 2019

शिव गौरी धाम पटगोवारी जिला नागपुर



विश्व माता माता माँ जगदंबा की जय हॊ ! माँ शेरोंवाली बड़ी दयालु है , माता पहाड़ा अपने सच्चे भक्तों कों स्वप्न मे दर्शन देकर बुलावा भेजती है । हर शक्तिपीठ की एक कहानी है , माँ शक्ति के हर अवतार की रहस्यमई कहानी है । ऐसे हि एक धाम की आज हम आपको यात्रा कराने चल रहें है । कह्ते है की माता के चमत्कारी धाम माँ शिवगौरी  जहा माता ने स्वयम एक भक्त को. सपने में आके अपना स्थान बताया.
तो चलिए तो माता के उस धाम के और जहा माता सदियो से अपने वैभवशाली सत्ता के सात विराजमान हैं. ये धाम रामटेक तहसील के पटगोवारी ग्राम के घने जंगलों के बीच. एक उंची पहाड़ी पर बसा है. जहां शेकडो सीडियां चढ़कर. माता के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है. और यहा. माता शेर भी. माँ के दर्शन को आता है.
तो चलिए. वहा के पुजारी द्वारा. जानते है माँ शिवगौरी के. इस चमत्कारी धाम की कहानी. कहा जाता है. साल 1993-94 के समय की बात है. पटगोवरी गाव मे एक भक्त रहतात था. जिसका नाम तेजराजजी बिच्छुरे इनको सपने में दर्शन देकर. अपना स्थान बताया. फिर तेजराज जी माँ ने उस स्थान को पर गया. वहा माँ की मुरत के दर्शन पाकर. वहीं ऊंची पहाड़ी पर माँ का पूजा. पाठ. आरती. वंदन करता था. कहा ये भी जाता है कि. माँ शिवगौरी के रूप बढ़ता है. यहा माँ गौरी शिवजी की तपस्या में. लिन होने के कारन. माँ का रूप कला है. हाँ माता अर्धांगिनी के रूप मे विराजमान है. माता एक और शेर तो दुसरी नंदी भी है. और वहा पच्चीस साल अखंड ज्योत भी प्रज्वलित है. तो दोस्तों आज की सत्य घटना कैसा लगी आपको. जरूर लाइक , कमेन्ट कर बताए . और हमारे चैनल को subscribe करना ना भूले. जय माँ शिव गौरी. जय माँ भवानी 

सोमवार, 11 नवंबर 2019

कूलस्वामिनी श्री रेणुका देवी की व्रत कथा और चमत्कार



श्री रेणुका देवी कलयुग की प्रत्यक्ष देवी की रूप मे पूंजी जाती है । देवियों की देवी कहे जाने वाली श्री रेणुका देवी की भक्ति में, उपासना में , जीवन कें चार पुरुषार्थ छिपे हुए , इसीलिए भक्तगण देवी की आराधना करना ही धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष्य को प्राप्त करना समझते  हैं ।

कलयुग की प्रत्यक्ष देवी है । माता रेणुका देवी कों नमो नमः कहकर पुकारने से देवी प्रसन्न होती है । सभी माताओं की मां रेणुका देवी मां ही है । वेदों मे जो वर्णन मिलता है वो इसी रेणुका देवी मां के लिये मिलता है । देवी रेणुका माता की कृपा से विधवा सुमंगली हॊ जाती है ऐसा सुना था लेकिन आज आप सभी माता रेणुका देवी भक्तों के लिए एक ऐसी कहानी लेकर आए है जहाँ माता रेणुका देवी ने एक भक्त के पति के प्राणो कों जीवनदान दे दिया आप सभी माता रेणुका देवी की महिमा पर आधारित कहानी सुनिये

श्री रेणुका माता का एक भक्त रवि था ,  जो माता रेणुका देवी का नित्य प्रतिदिन पूजन किया करता था  । रेणुका देवी की भक्ति और पूजा करने के बाद ही रवि के दिन की शुरुवात होती थी ।  मां रेणुका देवी उस भक्त की कुलदेवी थी । इस तरह कुलदेवी रेणुका देवी की कृपा से उसका विवाह शहर की एक सुन्दर सुशील दीक्षा के साथ हुआ । शहरी माहौल मे पढ़ने लिखने की वजह रवि की पत्नी दीक्षा देवी रेणुका की पूजा पाठ मे विश्वास नहि रखती थी । उसे देवी देवताओ का पूजा करना उसे  आडम्बर लगता था । जब रवि  ने अपनी पत्नी कों बताया की रेणुका देवी कों ऐसे ही कूलस्वामिनी नहि कहते है , देवी रेणुका परशुराम जी की माता है जो उनके शरण मे रहते है माता रेणुका कल्पवृक्ष की भांति उनकी मनोकामनाओं कों पूर्ण करती है । देवी रेणुका माता के चमत्कार से विधवा सुमंगली हॊ जाती है । ऐसा सुनते ही उसकी पत्नी ने हंसते हुए कहाँ की ऐसी बातो पर कौन विश्वास करेगा । भला विधवा सुमंगली कैसे हॊ सकतीं है इस तरह रेणुका भक्त रवि  की पत्नी दीक्षा कों कुलदेवी रेणुका की शक्ति पर शंका हुई  । अचानक एक दिन रेणुका भक्त रवि की तबियत बहुत ज्यादा खराब हॊ गई । तब भक्त रवि कों उसकी पत्नी अस्पताल लेकर गई । डाक्टर ने जांच पड़ताल की तो पता चला की उस भक्त कों टयूमर हॊ चुका है वह कुछ दिनो का ही मेहमान है ।
रेणुका देवी के भक्त कों देवी की शक्ति का अहसास हुआ और उसने गाँव जाने का निर्णय लिया । अपने पति रवि कों लेकर उसकी पत्नी गाँव आ गई। रवि की पत्नी दीक्षा कों अब देवी रेणुका मां पर विश्वास था की वो ही उसके पति कों जीवनदान दे सकतीं है।

रेणुका देवी के भक्त रवि  की पत्नी दीक्षा मां रेणुका देवी के मन्दिर जाकर रोने लगी , गिड़गिड़ाने लगी , माता से अपनी भुल के लिए प्रार्थना करने लगी । मां रेणुका कों अपनी यथा कथा और व्यथा सुनाने लगी ।
मां रेणुका से नवस बोला की मां मेरे पति कों जीवनदान दे दे मां रेणुका देवी मैं आपकी ओटी भरूंगी ।
हे मां रेणुका तेरी कृपा से विधवा  सुमंगली हॊ जाती है इसलिए देवी मेरा सिंदूर उजड़ने से बचा लो । मेरे प्राण नाथ का जीवन दान करो माँ ।
तभी वहां मन्दिर के पूजारी ने रोती हुई बेटी के आंखो मे आंसू देखकर उसके पास गए और कहने लगे बेटी चिंता मत करो मां तुम्हारी मनोकामना पूरी अवश्य करे । आप श्री दुर्गा सप्तशती का सात दिवस मे विधि विधान से साथ पाठ करो । माता रेणुका देवी आप पर अवश्य प्रसन्न होगी ।
रवि पत्नी दीक्षा ने पण्डित के बताए अनुसार ही सात दिनो तक माता रेणुका देवी कों प्रसन्न करने के दुर्गा सप्तशती का सात दिनो तक विधि विधान से पाठ किया । इन दिनो रवि की पत्नी दीक्षा ने मां रेणुका देवी के नाम से घर घर जाकर जोगवा मांगा करती और शाम कों देवी की पूजा के बाद वृत छोड़कर भोजन करती । इस दौरान रवि की तबियत मे धीरे धीरे सुधार होने लगा था ।  जब दुर्गा सप्तशती का पाठ पूर्ण हॊ गया तो तो दीक्षा ने अपने पति की पुनः जांच कराने का मन मे संकल्प लिया और देवी मां से प्रार्थना की । नजदीकी अस्पताल पर रवि की बीमारी की पुनः जांच हुई और इसका परिणाम देखकर डाँक्टर के भी होश उड़ गए । माता रेणुका की कृपा से रवि की ट्यूमर की बीमारी खत्म हॊ गई । यह चमत्कार श्री रेणुका देवी की कृपा से सम्भव हॊ पाया । देवी से सच्ची श्रध्दा आस्था से जिसने भी नवस बोला देवी रेणुका ने उसकी मनोकामना पूरी । इसके बाद रवि और दीक्षा ने अपने समस्त परिवार के लोगों के साथ रेणुका देवी के मन्दिर मे कुलदेवी की पूजा सम्पन्न की , पूजा मे श्री रेणुका देवी के लिए साड़ी , ब्लॉऊस फीस, हल्दी कुमकुम से मां रेणुका ओटी भरी । माता रेणुका देवी के दंडवत प्रणाम कर महामाई से कृपा बनाए रखने की अर्जी लगाई । माता रेणुका देवी का चमत्कार देख कर दीक्षा कों यकीन वो गया की रेणुका देवी 

गुरुवार, 7 नवंबर 2019

गौमुख की पहली यात्रा और मां अम्बादेवी दर्शन में हुआ चमत्कार


माँ शेरावाली की महिमा बड़ी निराली होती हैं भक्तों , पहाड़ा वाली लाटा वाली माँ के सच्चे भक्त जब भी माँ अम्बे के दर्शन के लिए उसके धाम जाते हैं तो माँ अम्बे की कृपा से कोई चमत्कार होता ही हैं ।
माँ अम्बे दरबार तक आने वाले रास्ते के सारे विघ्नों कों दूर करने के लिए माँ अम्बा कोई कोई सहायक उनका वाहन भेज ही देती हैं । मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के धारूल गाँव में विराजि मां अम्बादेवी शक्तिपीठ से जुड़ी कई रहस्यमई कहानियां जुड़ी हैं । यहां मनुष्य और शेर एक साथ रहते थे यह सब शेरोंवाली मां की कृपा से ही हो पाया ।

ऐसी महिमा हैं शेरोंवाली माँ की पहाड़ा वाली माँ अम्बे की । दुनियाँ में कई पहाड़ावाली माँ के सिद्धपीठ हैं लेकिन धारूल गाँव में स्थित गुफावाली माँ अम्बादेवी के मंदिर से जुड़े हजारो रहस्य हैं जो भक्तों कों उस गुफा वाले दरबार की ओर बुलावा भेजते हैं ।
सतपुड़ा के घने जंगलो में विराजि माँ अम्बा के दरबार आने का रास्ता जोखिमों से भरा हुआ हैं । हिडली से अम्बादेवी  रास्ता जंगल की लंबी पैदल चढ़ाई से होकर गुज़रता हैं ।
आईये इस दीपावली पर अम्बे दरबार की यात्रा में हुए चमत्कार की कहानी आपको बताते हैं ।
मेरे आठनेर के मित्र शैलेंद्र कुमार के साथ मैं रविन्द्र दिन के 12 बजे के लगभग अम्बादेवी क्षेत्र में स्थित भित्तिय चित्रो कों देखने के लिए निकले थे ।



अम्बादेवी जाते हुए सातकुण्ड गाँव के पास एक दादा रोड़ के किनारे बेहोशी की हालत में सोए हुए थे हमने सोचा कई इनके ऊपर कोई गाड़ी नहि चला दे इसलिए उन्हे हम हमारे साथ गाड़ी पर बिठाकर उनके गाँव की ओर ले गए । दादा कों उनके बताए गाँव कों छोड़ने के लिए हमे एक कि.मी हमारे मार्ग से विपरीत दिशा में जाना पड़ा । दादा कों उनके घर के सामने छोड़ने के बाद हम पुनः हमारे अम्बादेवी मार्ग पर आए और आगे बढ़ने लगे ।
लगभग 2:30 बजे के करीब हम नड़ा गाँव पहुंचे । वहां के एक चौराहे पर बैठे लोगों से गौ मुख की दूरी पूछी तो किसी ने बताया की एक कि .मी के करीब हैं ।


 हमे लगा पास में होगा वहां से आकर हम भित्तिय चित्रो की गुफा देखने जाएंगे । इसलिए वहां जाने के लिए तैयार हो गए । तभी वहां एक लड़का हमसे पूछने लगा कि भईया मूझे भी गौ मुख दर्शन कों जाना हैं क्या आप मूझे साथ लेकर चलोगे । हमें भी रास्ता नहि पता था इसलिए हमने उसे हमारी मोटरसाईकल पर बैठा लिया । नड़ा गाँव से नदी कि ओर चलते गए । आगे का रास्ता बहुत खराब था वहां नदी में बड़े बड़े पत्थर थे  । इसलिए गाड़ी कों नदी में एक अच्छी जगह खड़ा करके उसको लॉक कर दिया । हम नदी होते हुए गौमुख शिवधाम की ओर आगे बढ़ने लगे । आगे वह सारथी और शैलेंद्र भाई और पीछे पीछे मैं चल रहा था । कुछ दूर आगे चलने के बाद वह झरने जैसा गौ मुख आया जहाँ पत्थरो के बीच से पानी के तेज धाराएँ आ रही थी लेकिन पानी कहाँ से आ रहा पता नहि चल रहा था । हमने उस स्थान के वीडियो बनाए और फोटो खीची उसके बाद आगे बढ़ने लगे ।
नदी के बड़े बड़े पत्थरो के बीच रूके हुए पानी में आदिवासी लोग मछलियां पकड़ते नजर आ रहें थे । हम नदी पार कर चूके थे,  जंगल की पहाड़ियो चढ़ते हुए आगे बढ़ते जा रहें थे 





नड़ा गाँव से 1 कि .मी की दूरी तय कर चूके जिसके बाद
हनुमान जी एक मंदिर जंगल के बीच में दिखाई पड़ा और उसके नीचे एक गुफा थी जिसमे हमने माँ दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन किये और हनुमान जी का आशीर्वाद लेकर आगे का रास्ता तय करने लगे । उसके बाद हमारे रास्ते में एक छोटी नदी आयी जिसमे कुछ पानी रुका हुआ था वही भालू जैसै जानवर की खोपड़ी पड़ी हुई थी ।









इस तरह मैंने मन में शिव भगवान का सुमिरन किया और इनसे प्रार्थना की,  प्रभु मूझे आगे का रास्ता बताऒ ताकि आपके दर्शन हो सकें । इसके बाद पत्थरो कों पकड़कर मैंने आगे कदम बढाए , नीचे बहुत गहराई थी , हाथ पीसला तो शायद हड्डी पसली टूट जाएगी इसलिए ओम नमः शिवाय जब करते शिव कों याद करते आगे बढ़ रहा था ।


 शिव भगवान की कृपा से आखिर मार्ग मिल गया और मैं गौ मुख के कुण्ड के समीप पहुँच गया । शिव कुण्ड में एक लोहे की एक सीढ़ी लगी हुई थी जिसके सहारे कुण्ड में उतरते हैं । कुण्ड में थोड़ा बहुत पानी था और एक नागदेवता की प्रतिमा विराजमान थी । नागदेवता जी की मूर्ति के ऊपर नागमनी रखी हुई थी जो किसी धातु की बनाई हुई थी ।

 इस कुण्ड में यवतमाल के नेताजी नगर दारव्हा रोड़ के विक्रम गुलाब हातागड़े नामक एक परिवार के नामो की सूची का बोर्ड लगा हुआ हैं । मेरे मित्र शैलेंद्र कुमार की ईच्छा थी की नागमणि कों छुए इसलिए मैंने उन्हे कहाँ की पहले ओम नमः शिवाय का जाप करे फिर उठाये । ओम नमः शिवाय का जप करने के बाद हम दोनो ने नागमणि के दर्शन किये । इसके बाद मैंने एक -  दों उस गुफा में शिव जी के भजन गाए । शिव गुफा में भजन कीर्तन करने से मन कों एक अलौकिक आनंद प्राप्त होता हैं ।
अब हम तीनों ने नागदेव भगवान की प्रतिमा कों प्रणाम किया और शिव जी का आशीर्वाद लेकर वहां से हम पुनः वापस आने लगे । इसके पास हनुमान मन्दिर के पास से नीचे उतरने के बाद







हमने नदी के समीप गौमुख शिवधाम के दर्शन किये । इसके बाद हमारे साथ एक गाईड भाई था उसको छोड़ने के लिए नड़ा गाँव से महाराष्ट्र अम्बाड़ा गए । अम्बाड़ा पहुचने के बाद मेरे एक सिस्टर वहां रहती थी उसके घर गए वहां से रात्री 8 बजे भोजन करने के बाद हम अम्बादेवी मन्दिर धारूल के लिए निकल पड़े । रात्री के करीब 9 बजे हम छोटी अम्बा माई  धाम पहुंच गए । वहां मैंने देवी अम्बा माँ के दर्शन किये और वहां के पुजारी मुकेश महाराज से बात की । मुकेश महाराज गूंगे हैं मूझे संकेत दे रहें की कोई शराबी यहां आ कर सोया हुआ था । इसके बाद वहां की दुकान हम बैठ गए । रात्री अधिक हो गई थी इसलिए हम ना गाँव वापस आ सकें और ना जंगल होते हुए गुफावाली अम्बादेवी माँ के दर्शन के लिए जा सकें । इसलिए वहां ही विश्राम करने का निर्णय लिया वैसे भी जंगल की लम्बी चढ़ाई से बहुत थक चूके चूके थे । इसके बाद शैलेंद्र भाई और मूझे नींद आ गई ।
प्रातः 4 बजे हमारी नीन्द खुल गई , इसके बाद हम लोग दोनो भाई बड़ी अम्बादेवी माँ की यात्रा के लिए जंगल के ओर चलने लगे । जैसै ही हम अम्बादेवी के रास्ते आगे चलने लगे तभी अचानक कही से हमारे पास एक काला कुत्ता आ गया ।




हमारे साथ वह कुत्ता भी अम्बा माई के घने जंगलो से होकर माँ अम्बा के धाम की ओर चलते जा रहा हैं ।
हम जहाँ रूकते वहां कुत्ता भी रुकता और हम चलते तो वह कुत्ता भी चलता था । हमने कई जगहो पर उस सारथी कुत्ते के साथ सेल्पी फ़ोटोस भी खीची । रात के अंधेरे में मोबाईल के flashlight के सहारे हम माँ अम्बे से मिलने चले जा रहें हैं । सुबह 5 बजे के करीब अम्बादेवी शक्तिपीठ के प्रवेश द्वार पर हम पहुंचे और माता अम्बा कों प्रणाम किया ।




हम दोनो भाई नहाने के लिए नीचे नदी की तलहटी में उतरे वहां हम लोगों ने स्नान किया । नीचे नदी के किनारे पेड़ो पर बन्दरो का इस पेड़ से उस पेड़ पर कूदना और उछलना चल रहा था  ।। माता के दर्शन के लिए अब मैं उत्सुक हो चुका था इसके बाद माँ के दर्शन लिए गुफा की ओर बढ़ने लगा ।


गुफा के प्रवेश द्वार के सामने मैं सुबह 6 बजे उपस्थिति हो चुका था । तपस्वी मंगला देवी से आशीर्वाद लेनें के बाद मैंने वहां के पुजारी तलाश की ताकि जल्दी से वे मां अम्बा के मन्दिर के पठ खोले और मैं मां के दर्शन कर सकूं । वहां पर तब आठनेर के सन्दीप सोनी से मुलाकात हुई जो वहां रात्री कों रूका हुआ था । सन्दीप सोनी मां अम्बा देवी का सच्चा भक्त नहि हैं क्युकी मैंने कई बार आजमाया हैं , सन्दीप ने कई बार माँ अम्बा के नाम से झूठी कसमे खाई , मैंने इतना भी देखा हैं की सन्दीप इधर की बाते उधर और उधर की बाते इधर करने में ही बहुत जीवन व्यर्थ गवाया । सन्दीप मां अम्बा मन्दिर की चाबी लेकर आया फिर मैं और शैलेंद्र भाई मां अम्बा दर्शन के लिए गुफा में प्रवेश किया । मां अम्बा के मन्दिर में प्रथम दीपक लगाया और मां अम्बादेवी की आरती की ।
मां अम्बादेवी की पूजा अर्चना करने के बाद हम दोनो ने मां अम्बा देवी के दर्शन का वीडियो शूट किया और कुछ फ़ोटोस निकाली ।








 मां अम्बा का चेहरा हमारे आतें ही प्रसन्नता से दिखने लगा । अम्बा मन्दिर चोरी के बाद बहुत से सच्चे भक्तों ने मां अम्बा का विग्रह अपने घर पर स्थापित कर मन्दिर आना बहुत कम कर दिया । वही माता के भक्त मां से मन्दिर होने वाली गतिविधियो से नाराज हैं इसलिए मूझ जैसै मां अम्बा पर अटूट श्रध्दा और आस्था रखने वाले लम्बे अंतराल के बाद आते हैं । इस तरह मां अम्बा दरबार की परिक्रमा करने बाद हम लोग परसादी लेकर जाने लगे । तभी सन्दीप कहने लगा की  रविन्द्र भाई थोड़ा रुकिए मैं चाय बना रहा हु । आप चाय पीकर ही घर जाइये । मैंने सन्दीप से कहाँ भाई  मैं मां अम्बा के दर्शन करने आया हु , मेरी मां से मिलने आया था । आप ही चाय पीजिए , खाना खाइए ।






















इसके बाद हम अम्बादेवी मन्दिर के प्रवेश द्वार पर वापस आए जहाँ हमारे साथ आया सारथी कुत्ता बैठा हुआ था । शैलेंद्र भाई और मैंने फिर भैरव महाराज के मंदिर जाकर उनके दर्शन किये हमारे साथ वहां भी वह कुत्ता सारथी आ गया । अब मैंने अम्बा माई की महिमा के कुछ वीडियो बनाए और तस्वीरे खीचते हुए छोटी अम्बा माई की ओर जाने लगे ।
इस तरह हमे नीचे पहाड़ी उतरते हुए 8 बज चूके थे । हमारे साथ वह काले कलर का कुत्ता सारथी आगे चलते जाता और हम उसके पीछे चलते जाता ।










इसके बाद हम छोटी अम्बा माई पहुंचे वहां मां अम्बा के दर्शन किए और माता का आशीर्वाद प्राप्त किया । तभी अचानक वहां बस आ गई । मेरा सपना था की मेरी मां के दरबार बस आए । आखिर माता की कृपा और हमारे धर्म प्रचार प्रसार कार्यो से यह ईच्छा भी पूर्ण हुई ।